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Budget 2020-21: Nirmala Sitharaman estimated fiscal deficit to be 3.3% of the GDP.
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वस्तु एवं सेवाकर (GST) परिषद की आज यानी बुधवार को अहम बैठक होने जा रही है. इस बैठक में राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के विभिन्न उपायों पर विचार किया जा सकता है. जीएसटी की मौजूदा दर व्यवस्था के तहत उम्मीद से कम राजस्व प्राप्ति के चलते कर ढांचे में बदलाव को लेकर चर्चा तेज हुई है. राजस्व प्राप्ति कम होने से राज्यों को क्षतिपूर्ति भुगतान में देरी हो रही है.
GST प्राप्ति में कमी की भरपाई के लिए जीएसटी दर और सेस में वृद्धि किए जाने के सुझाव दिए गए हैं. पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों ने हालांकि सेस की दरों में किसी प्रकार की वृद्धि किए जाने का विरोध किया है. राज्य सरकार का कहना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच उपभोक्ता के साथ-साथ उद्योगों को भी कामकाज में दबाव का सामना करना पड़ रहा है.
परिषद ने मांगे थे सुझाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने जीएसटी और सेस की दरों की समीक्षा के बारे में सुझाव मांगे हैं. राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के लिए परिषद ने विभिन्न सामानों पर दरों की समीक्षा करने, उल्टे कर ढांचे को ठीक करने के लिए दरों को तर्कसंगत बनाने, राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के लिए वर्तमान में लागू किए जा रहे उपायों के अलावा अन्य अनुपालन उपायों के बारे में सुझाव मांगे हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे एक पत्र में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा है कि राज्यों को जीएसटी परिषद से पत्र प्राप्त हुआ है. इसमें उनसे रेवेन्यु कलेक्शन बढ़ाने के बारे में सुझाव मांगे गए हैं. साथ ही जिन सामानों को जीएसटी से छूट दी गई है, उन्हें कर के दायरे में लाने को लेकर भी सुझाव मांगे गए हैं.
खतरनाक है स्थिति
मित्रा ने पत्र में लिखा है, ‘‘यह बहुत खतरनाक स्थिति है. इस वक्त जब उद्योग और उपभोक्ता दोनों ही काफी परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं, जब मांग और कारोबार में वृद्धि के बिना ही मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका बनी हुई है, ऐसे समय में कर ढांचे में किसी भी तरह का बदलाव करना अथवा कोई नया सेस लगाना ठीक नहीं होगा. हमें इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.’’
देश सुस्त आर्थिक वृद्धि और ऊंची मुद्रास्फीति की ओर अग्रसर
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने ऐसी आशंका जताई है कि भारत सुस्त आर्थिक वृद्धि और ऊंची मुद्रास्फीति के दौर में पहुंच रहा है. ऐसी स्थिति बन रही है, जहां आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती जारी रहने के बावजूद मुद्रास्फीति में तेजी का रुख बन रहा है. खाद्य उत्पादों के बढ़ते दाम की वजह से नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति तीन साल के उच्चस्तर 5.54 फीसदी पर पहुंच गई.
दूसरी तरफ औद्योगिक उत्पादन लगातार तीसरे माह घटता हुआ अक्टूबर में 3.8 फीसदी घट गया. इससे अर्थव्यवस्था में एक तरफ जहां सुस्ती दिख रही है वहीं दूसरी तरफ मुद्रास्फीति सिर उठा रही है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि छह साल के निम्न स्तर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई.
दरें बढ़ाने के बजाय करे जाएं ये उपाय
अमित मित्रा ने कहा, ‘‘दरें बढ़ाने और नए कर लगाने अथवा सेस बढ़ाने के बजाय जीएसटी परिषद को उद्योगों को राहत पहुंचाने के तौर तरीके तलाशने चाहिए ताकि ये क्षेत्र मौजूदा संकट से उबर सकें. अतिरिक्त कर राजस्व जुटाने का समाधान कर की दरों में छेड़छाड़ करने से नहीं बल्कि टैक्स चोरी और धोखाधड़ी पकड़ने के उपायों से होगा.’’
राज्यों को 35,298 करोड़ रु हुए जारी
बहरहाल, राज्यों की उन्हें राजस्व क्षतिपूर्ति भुगतान में हो रही देरी की शिकायतों के बाद सोमवार को केन्द्र सरकार ने कुल 35,298 करोड़ रुपये की राशि राज्यों को जारी कर दी. देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई 2017 को लागू हुई थी. जीएसटी लागू करते समय केन्द्र ने राज्यों को उनके राजस्व में आने वाली कमी की भरपाई करने का आश्वासन दिया था.