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जीएसटी अफसर अब उन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकेंगे जहां टैक्स चोरी, गलत ढंग से लिए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) या रिफंड की रकम 5 करोड़ रुपये से अधिक होगी.
जीएसटी अफसर अब उन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकेंगे जहां टैक्स चोरी, गलत ढंग से लिए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) या रिफंड की रकम 5 करोड़ रुपये से अधिक होगी. वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि 5 करोड़ रुपये की ये सीमा आदतन टैक्स चोरी करने वालों (habitual evaders) के मामले में या उन मामलों में लागू नहीं होगी जहां जांच के समय गिरफ्तारी की जा चुकी है.
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले जीएसटी इन्वेस्टिगेशन विंग ने नई गाइडलाइन जारी करते हुए कहा है कि पर्याप्त सबूत मिलने पर ही जीएसटी चोरी के मामले में आरोपी के खिलाफ टैक्स अफसर कानूनी कार्रवाई शुरू करने का फैसला ले सकेंगे. इस गाइडलाइन में जीएसटी विंग ने स्पष्ट किया है कि कानूनी कार्रवाई सामान्य तौर पर उन मामलों में शुरू की जा सकती है जहां टैक्स चोरी की राशि, आईटीसी के दुरुपयोग या धोखाधड़ी से लिए गए रिफंड की राशि 5 करोड़ रुपये से अधिक है.
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कौन माना जाएगा आदतन टैक्स चोर
किसी कंपनी या टैक्सपेयर को आदतन चोर (habitual evader) तब घोषित किया जाएगा जब उस पर पिछले दो सालों में पांच करोड़ रुपये से अधिक राशि की टैक्स चोरी या आईटीसी के दुरुपयोग या धोखाधड़ी से रिफंड जुटाने, तथ्यों को छिपाने समेत अन्य गैर कानूनी मामलों के दो या दो से अधिक केस में शामिल होने की पुष्टि होगी. इस पर सेट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (CBIC) ने बताया कि आदतन चोरों की पहचान करने के लिए DIGIT डेटाबेस का इस्तेमाल किया जा सकता है. जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि अगर जांच के दौरान किसी आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है और उसकी जमानत नहीं होती, तो गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर उसके खिलाफ कोर्ट में मामला पेश करने का पूरा प्रयास किया जाना चाहिए.
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बाकी सभी मामलों में आरोपी के खिलाफ तय समय सीमा के भीतर GST टीम द्वारा शिकायत दर्ज करनी होगी. गाइडलाइन में कहा गया है कि टैक्स अफसर को कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए अपराध की प्रकृति और उसकी गंभीरता, टैक्स चोरी या आईटीसी के दुरुपयोग की राशि, धोखाधड़ी करके रिफंड जुटाने के सबूत जमा करने होंगे. उसके बाद ही आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करने के बारे में अंतिम फैसला किया जा सकेगा.