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मल्लिकार्जुन खड़गे को 2014 में कांग्रेस संसदीय दल के नेता के तौर पर नेता विपक्ष का पद नहीं मिल सका था. 2019 में भी कांग्रेस यह पद हासिल नहीं कर सकी. (File Photo)
Congress may not get LOP Post in Gujarat: गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की एतिहासिक जीत ने प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का ऐसा बुरा हाल कर दिया है, जैसा पहले कभी देखने को नहीं मिला. 27 साल से राज्य की सत्ता से बेदखल कांग्रेस के लिए इस बार तो नेता विपक्ष का पद मिलना तक संभव नहीं रह गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार 17 सीटों तक सिमटती नजर आ रही है. अंतिम परिणाम आने तक अगर यही आंकड़े बने रहे जो अभी हैं, तो गुजरात विधानसभा में नेता विपक्ष (Leader of Opposition) का पद खाली ही रह जाएगा.
नेता विपक्ष के पद के लिए कितनी सीटें चाहिए?
दरअसल, संसद या विधानसभा में नेता विपक्ष का पद उसी दल के लीडर को मिल सकता है, जिसके सदस्यों की संख्या उस सदन की कुल संख्या के कम से कम 10 फीसदी के बराबर हो. गुजरात विधानसभा में कुल 182 विधायक होते हैं. इस हिसाब से नेता विपक्ष का पद हासिल करने के लिए कांग्रेस के पास कम से कम 19 विधायक होने चाहिए, जो उसके पास नहीं हैं. सदन में नेता विपक्ष को कैबिनेट मंत्री के बराबर का दर्जा और सुविधाएं दी जाती हैं. साथ ही, विधानसभा में बैठने के लिए विपक्ष की कतार में सबसे आगे की सीट भी अलॉट की जाती है. वैसे कांग्रेस को ऐसी हालत का सामना पहली बार नहीं करना पड़ रहा है. गुजरात में तो नहीं, लेकिन देश की संसद में कांग्रेस को पिछले दो चुनावों से ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ रहा है. पहले 2014 और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के इतने सांसद चुनकर नहीं आ सके कि नेता विपक्ष का पद उसे दिया जा सके.
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के साथ यही हुआ
सबसे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ 44 सांसद चुनकर आए, जबकि लोकसभा में कुल 543 सदस्य होते हैं. यानी नेता विपक्ष का पद हासिल करने के लिए 55 सांसद होने चाहिए थे, जो कांग्रेस के पास नहीं थे. उस वक्त लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नियमों का हवाला देते हुए सदन में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को नेता विपक्ष का पद देने से इनकार कर दिया था. संसद में नेता विपक्ष का न होना सिर्फ कांग्रेस के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिहाज से भी नुकसानदेह था, क्योंकि नेता विपक्ष को कई संवैधानिक पदों पर नियुक्ति के बनाए जाने वाले पैनल में शामिल होकर अहम भूमिका निभानी होती है. यही वजह है कि कांग्रेस अपने नेता को यह दर्जा दिए जाने की मांग करती रही. लेकिन उसे यह पद नहीं मिल सका. मोदी सरकार ने संवैधानिक नियुक्तियों के लिए बनाए जाने वाले पैनल में खड़गे को विशेष आमंत्रित के तौर पर बुला लिया, लेकिन सदस्य नहीं बनाया. खड़गे इसका विरोध करते हुए बैठकों में नहीं गए. अब उन्हीं खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए गुजरात में पार्टी को नेता विपक्ष का पद नहीं मिलने की हालत पैदा हो गई है.