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गुजरात सरकार ने सोमवार को एक नई योजना शुरू की, जिसके तहत सूखे, अत्यधिक बारिश या बेमौसम बरसात के कारण फसल नुकसान का सामना करने वाले किसानों को, बिना कोई प्रीमियम दिए मुआवजा मिलेगा. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने घोषणा की कि नई 'मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना' केवल इस वर्ष के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की जगह लेगी.
रूपाणी के मुताबिक, केंद्र की फसल बीमा योजना से अलग किसानों को इस खरीफ सत्र में सूखे, अधिक या बेमौसम बारिश जैसे प्राकृतिक जोखिमों से सुरक्षा पाने के लिए राज्य सरकार की इस नई योजना के तहत किसी भी प्रीमियम का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है. केवल इस वर्ष के लिए, हम PMFBY को मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना के साथ बदल रहे हैं क्योंकि बीमा कंपनियों ने इस बार हमसे बहुत अधिक प्रीमियम की मांग की है. यदि हम उनका टेंडर मंजूर करते हैं, तो राज्य सरकार को अपने हिस्से के रूप में 4,500 करोड़ रुपये देने होंगे.
उन्होंने कहा कि इस साल बीमा कंपनियों द्वारा मांगी गई राशि औसतन लगभग 1,800 करोड़ रुपये के प्रीमियम से अधिक है. इस प्रकार, हमने इस वर्ष के लिए निविदा स्वीकार नहीं करने और इस योजना को शुरू करने का फैसला किया है. न तो राज्य और न ही किसानों को इस वर्ष कोई प्रीमियम देना होगा. PMFBY में केवल उन किसानों को सुरक्षा कवच मिलता है जो प्रीमियम का भुगतान करते हैं, लेकिन इसके विपरीत हमारी योजना सभी किसानों को फसलों के लिए सुरक्षा कवच प्रदान करेगी वह भी बिना किसी प्रीमियम अदायगी के.
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मुआवजे की राशि और शर्त
रूपाणी ने आगे कहा कि इस खरीफ (मानसून) के मौसम में फसल बोने वाले किसानों को इस योजना के तहत लाभ मिलेगा. मुआवजा तभी दिया जाएगा, जब सूखा या अधिक बारिश या बेमौसम बारिश के कारण फसल का नुकसान 33 फीसदी से ज्यादा का होगा. उन्होंने कहा कि एक किसान अधिकतम चार हेक्टेयर भूमि का मुआवजा पाने के लिए पात्र है. 33 फीसदी और 66 फीसदी के बीच फसल के नुकसान के लिए, एक किसान को अधिकतम चार हेक्टेयर के लिए प्रति हेक्टेयर 20,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा. उन्होंने कहा कि 60 फीसदी से अधिक की फसल हानि के लिए, अधिकतम चार हेक्टेयर के लिए एक किसान को प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपये मिलेंगे.
56 लाख किसानों को होगा फायदा
रूपाणी ने स्पष्ट किया कि इस योजना के तहत भुगतान किए गए मुआवजे के अलावा, किसान प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान के मामले में राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के तहत अतिरिक्त मुआवजा पाने के लिए भी पात्र होंगे. इस नई योजना से राज्य के सभी 56 लाख किसानों को लाभ होगा. यह पीएमएफबीवाई से भी सरल है. हम एक समर्पित पोर्टल शुरू करेंगे, ताकि किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकें. वन अधिकार अधिनियम के तहत पंजीकृत आदिवासी किसान भी इस योजना के लिए पात्र होंगे. चूंकि राज्य सरकार ने पहले ही फसल बीमा प्रीमियम का भुगतान करने के लिए 1,800 करोड़ रुपये अलग रखे थे, इसलिए अब इस धन का उपयोग इस योजना के लिए किया जाएगा.