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कोरोना महामारी सदी में एक बार आने वाला संकट, FY 2021 में घट सकती है देश की GDP: केएम बिड़ला

हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कोरोना वायरस महामारी को सदी में एक बार आने वाला सबसे बड़ा संकट बताया है.

हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कोरोना वायरस महामारी को सदी में एक बार आने वाला सबसे बड़ा संकट बताया है.

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PTI
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Hindalco Industries Chairman, Kumar Mangalam Birla, KM Birla, Covid-19 as Century Crisis, lockdown, covid-19 impact on society and the economy, country's GDP may contract in 2020-21

हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कोरोना वायरस महामारी को सदी में एक बार आने वाला सबसे बड़ा संकट बताया है.

Hindalco Industries Chairman, Kumar Mangalam Birla, KM Birla, Covid-19 as Century Crisis, lockdown, covid-19 impact on society and the economy, country's GDP may contract in 2020-21 हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कोरोना वायरस महामारी को सदी में एक बार आने वाला सबसे बड़ा संकट बताया है.

हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कोरोना वायरस महामारी को सदी में एक बार आने वाला सबसे बड़ा संकट बताया है. उन्होंने कहा कि किसी सदी में एक बार आने वाली कोरोना जैसी महामारी और उसके चलते दोश भर में लागू लॉकडाउन के कारण वित्तवर्ष 2021 में भारत की GDP में बड़ी गिरावट आ सकती है. ऐसा चार दशकों में पहली बार होगा. उन्​होंने कहा कि सख्‍त लॉकडाउन ने पूरे समाज और भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है. लॉकडाउन के कारण कारोबारी गतिविधियां लंबे समय तक पूरी तरह से ठप रही हैं. अब भी उनके पटरी पर लौटने की रफ्तार काफी धीमी है.

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क्यों अर्थव्यवस्था पर होगा बड़ा असर

बता दें कि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए वित्त वर्ष 2020 के आखिरी हफ्ते से देश भर में लॉकडाउन लागू करने का निर्णय लिया गया जो वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक देश भर के तमाम हिस्सों में किसी न किसी रूप में लागू रहा. उन्होंने कहा कि भारत में कोविड-19 ऐसे समय आया है जब वैश्विक अनिश्चितता तथा घरेलू वित्तीय प्रणाली पर दबाव की वजह से आर्थिक परिस्थितियां पहले से सुस्त थीं. एक अनुमान के अनुसार देश का 80 फीसदी सकल घरेलू उत्पाद उन जिलों से आता है जिन्हें लॉकडाउन के दौरान रेड और ऑरेंज क्षेत्रों में बांटा गया. इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित रही हैं.

पॉजिटिव फैक्टर

उन्होंनें कहा कि अनिश्चितता के बादल को देखते इस समय कुछ कहना आसान नहीं है. लेकिन इसका एक पॉजिटिव फैक्टर यह है ​कि अगर महामारी का दूसरा दौर शुरू नहीं होता है तो यह मंदी सबसे कम अवधि के लिए होगी. उन्‍होंने भरोसा जताया कि बेहतर नेतृत्व, ठोस कारोबारी बुनियाद और अच्छी पृष्ठभूमि वाली कंपनियां इस चुनौतीपूर्ण समय में भी चैंपियन के तौर पर उभरेंगी. फिर भी अर्थव्यवस्था में गिरावट होना तय है.

शेयर धारकों को लिखा लेटर

कुमार मंगलम बिड़ला ने शेयरधारकों को लिखे इस पत्र में आगे कहा कि इस स्थिति में भी इस बात पर संदेह नहीं कि कोरोना के बाद की नई वैश्विक स्थिति में वही कंपनियां विजेता के तौर पर उभरेंगी जिनका नेतृत्व मजबूत होगा, बिजनेस फंडामेंटल्स बेहतर होंगे और जो चुनौतियों से निपटने की क्षमता का प्रदर्शन करेंगी. इस साल हमें इकोनॉमी में मंदी देखने को मिलेगी. लेकिन 2020 की मंदी पहले की मंदियों से काफी अलग रहने वाली है. ये मंदी बड़ी तेजी से फैली और इसने इकोनॉमी के लगभग सभी सेक्टर को अपनी जकड़ में ले लिया. लोगों के रोजगार पर इसका अभूतपूर्व असर देखने को मिला.

उन्होंनें कहा कि दुनिया भर में लागू लॉकडाउन के उठने और कारोबारी गतिविधियों के गति पकड़ते ही इकोनॉमी में तेज रिकवरी देखने को मिलेगी. दुनिया भर के तमाम देशों में अब तक करीब 9 ट्रिलियन डॉलर के राहत पैकेज का एलान किया जा चुका है, इसके साथ तमाम केंद्रीय बैंकों ने अपनी मौद्रिक नीतियों से भी इस महामारी से निपटने उपाय किए हैं. इस सबसे इकोनॉमी में तेज रिकवरी देखने को मिलेगी.