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Hindi Diwas 2023 : 14 सितंबर को हर साल क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस? क्या हैं इससे जुड़ी खास बातें

Hindi Diwas 2023 : प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदी दिवस के मौके पर देश के सभी लोगों को बधाई दी है.

Hindi Diwas 2023 : प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदी दिवस के मौके पर देश के सभी लोगों को बधाई दी है.

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FE Hindi Desk
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मेंडोरिन, स्पेनिश और अंग्रेजी के बाद हिन्दी दुनिया में चौथी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है. (Photo : Pixabay)

देश में राजभाषा हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद लोगों में हिन्दी भाषा के प्रति जागरूकता लाना है. वैसे तो हमारे देश में कई भाषाएं और बोलियां हैं, लेकिन देश की 77 फीसदी से ज्यादा आबादी बोलचाल में हिन्दी का इस्तेमाल करती है या करना जानती है. इसके साथ ही हिन्दी को दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा का स्थान भी हासिल है. 

14 सितंबर की अहमियत

सबसे पहले हिंदी को राजभाषा बनाये जाने का प्रस्ताव साल 1918 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के दौरान महात्मा गांधी ने रखा था. बरसों बाद जब देश आजाद हुआ तो 1949 में 14 सितंबर के दिन ही संविधान सभा ने हिन्दी को राजभाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित किया था. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई है. इसके बाद साल 1953 में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की सलाह पर देश में पहली बार हिन्दी दिवस के मौके पर कार्यक्रमों का आयोजन शुरू किया गया. तभी से हर साल 14 सितंबर को स्कूलों, कॉलेजों, शिक्षण संस्थानों और दफ्तरों में हिन्दी दिवस के मौके पर निबंध प्रतियोगिताएं, वाद-विवाद, कविता पाठ, नाटक और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. कई सरकारी दफ्तरों में हिंदी पखवाड़े का आयोजन भी किया जाता है, जिसके तहत 15 दिनों तक हिंदी पर खास जोर दिया जाता है. हर साल की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी दिवस के मौके पर देश के लोगों को शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए लोगों को बधाई देते हुए लिखा है, "मेरे सभी परिवारजनों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. मेरी कामना है कि हिन्दी भाषा राष्ट्रीय एकता और सद्भावना की डोर को निरंतर मजबूत करती रहेगी."

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फारसी बोलने वाले लोगों का दिया शब्द है हिन्दी

कम ही लोगों को ये पता होगा कि हिन्दी शब्द की शुरुआत फारसी भाषा बोलने वाले लोगों से मानी जाती है. दरअसल फारसी भाषा में ‘स’ वर्ण होता ही नहीं है, इसलिए फारसी बोलने वाले लोग ‘स’ के जगह पर ‘ह’ का इस्तेमाल करते थे, जिसकी वजह से सिंध-हिन्द हो गया. इसी तरह सिन्धु नदी के पार रहने वाले लोगों को हिन्दू और उनकी भाषा को हिन्दी कहा जाने लगा.

1900 में हुई थी आज की हिंदी की शुरुआत

भाषाविदों की मानें तो हिन्दी के वर्तमान स्वरूप, जिसमें आज हम पढ़ व लिख रहे हैं कि शुरूआत सन 1900 में हुई थी. खड़ी बोली यानी हिंदी में लिखी गई पहली कहानी इंदुमती थी. इसे किशोरीलाल गोस्वामी ने लिखा था. इसकी हिंदी भाषा काफी हद तक वैसी ही है जैसी आज लिखी और बोली जाती है.

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