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केंद्र सरकार ने होम आइसोलेशन के गाइडलाइंस में संशोधन किया है.
Home Isolation Guidelines: कोरोना महामारी की दूसरी लहर खतरनाक साबित हो रही है. पिछले 24 घंटे में 3.86 लाख से अधिक कोरोना के नए केसेज सामने आए हैं. इसके अलावा 3498 लोगों की इसके चलते मौत हो गई है. इसके अलावा देश के कई हिस्से में स्वास्थ्य सेवाएं सीमित लोगों को ही मिल पा रही है क्योंकि अस्पतालों में क्षमताएं सीमित हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय इसे लेकर समय-समय पर एडवायजरी जारी करता रहा है. इसी कड़ी में हेल्थ मिनिस्ट्री ने माइल्ड केसेज या बिना लक्षणों वाले कोरोना पेशेंट को होम आइसोलेशन को लेकर गाइडलाइंस संशोधित किए हैं. इसमें न सिर्फ मरीजों के लिए बल्कि उनकी देखभाल करने वाले केयरटेकर के लिए भी गाइडलाइंस जारी किए गए हैं. इसके तहत होम आइसोलेशन में रहने के दौरान अगर सांस लेने में समस्या आती है, ऑक्सीजन लेवल 94 फीसदी से नीचे आता है, सीने में दर्द होता या अन्य कोई समस्या आ रही है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं. होम आइसोलेशन में 10 दिनों तक रहने और लगातार तीन दिनों तक बुखार न आने की स्थिति में होम आइसोलेशन से बाहर आ सकते हैं और उस समय टेस्टिंग की जरूरत नहीं है.
Majority of #COVID19 patients don’t require hospitalisation & can recover at home maintaining utmost precaution.
Follow these revised guidelines issued by @MoHFW_INDIA for home isolation of patients clinically assigned as mild or asymptomatic.@PMOIndia#Unite2FightCoronapic.twitter.com/lt5MKFhVVK— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) April 30, 2021
मरीजों के लिए जारी गाइडलाइंस
- स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा मरीज की स्थिति को माइल्ड या एसिंपटोमेटिक केस तय किया जाना चाहिए. ऐसे मामले में मरीजे के सेल्फ आइसोलेशन की उनके घर पर व्यवस्था होनी चाहिए और परिवार के सदस्यों के लिए भी क्वारंटीन तय होना चाहिए.
- मरीज के लिए हर समय एक देखभाल करने वाला उपस्थित होना चाहिए और होम आइसोलेशन के दौरान केयरटेकर व अस्पताल के बीच कम्युनिकेशन जारी रहना चाहिए.
- 60 साल से अधिक की उम्र के लोग और तनाव, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, क्रोनिक लंग/लीवर/किडनी डिजीज इत्यादि केसेज में कोरोना संक्रमण होने की स्थिति में मेडिकल ऑफिसर उचित तरीके से इवॉल्यूशन कर होन आइसोलेशन की मंजूरी देंगे.
- कोरोना संक्रमित को ऐसे कमरे में होम आइशोलेशन रहना चाहिए जिसमें वेंटिलेशन बेहतर हो और ताजी हवा आती रहे.
- मरीज को हर समय ट्रिपल लेयर वाला मेडिकल मास्क लगाना होगा जिसे अधिकमत 8 घंटे तक ही लगा सकेंगे. मास्क को 1 फीसदी सोडियम हाइपोक्लोराइट के जरिए डिसइंफेक्ट कर ही फेंकना चाहिए.
- मरीज को अधिक से अधिक लिक्विड वाली चीजों का सेवन करना चाहिए ताकि पर्याप्त हाइड्रेशन बनी रहे.
- 40 सेकंड्स तक समय-समय पर हाथ साबुन से धोएं या एल्कोहॉल वाले सैनिटेजर से साफ करें.
- घर में किसी अन्य के साथ अपनी चीजें साझा न करें.
- ऐसी चीजों को जिसे लगातार छुआ जा रहा है, उसे 1 फीसदी हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन से साफ करें.
- पल्स ऑक्सीमीटर के जरिए ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशन जरूर देखते रहें.
केयरटेकर के लिए जरूरी निर्देश
- मरीज के लिए हर समय एक देखभाल करने वाला उपस्थित होना चाहिए और होम आइसोलेशन के दौरान केयरटेकर व अस्पताल के बीच कम्युनिकेशन जारी रहना चाहिए.
- केयरटेकर और कोरोना संक्रमित के करीबी संपर्क में आने वाले लोगों को मेडिकल ऑफिसर की सलाह के मुताबिक और प्रोटोकॉल के आधार पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन प्रोफिलेक्सिस दिया जाएगा.
- कोरोना संक्रमित के कमरे में जाने पर केयरटेकर को एन95 मास्क या ट्रिपल लेयर वाला मास्क जरूर पहनना चाहिए.
- केयरटेकर को अपना मुंह, चेहरा या नाक नहीं छूने से बचना चाहिए.
केंद्रीय मंत्रालय ने सुझाया यह इलाज
- डॉक्टर की सलाह पर अन्य को-मॉर्बिड बीमारियों के लिए दवाइयां जारी रख सकते हैं.
- दिन में दो बार गर्म पानी से गार्गल्स कर सकते हैं या भाप ले सकते हैं.
- अगर बुखार नियंत्रित नहीं हो पा रहा है तो पैरासीटामोल 650 एमजी दिन में चार बार ले सकते हैं. इसके अलावा डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं जो नोप्रोक्सेन 250 एमजी जैसी नॉन-स्टेयरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग दवाइयां दिन में दो बार दे सकते हैं.
- 3-5 दिनों के लिए आईवरमेक्टिन (200 एमलीदी/किग्रा) टैबलेट दिन में एक बार ले सकते हैं.
- 5 दिन से अधिक बुखार/खांसी रहने पर इंहेलर के जरिए इन्हेलेशनल बूडेसोनाइड दिन में दो बार 800 एमसीजी की डोज दे सकते हैं.
- रेम्डेसिविर इंजेक्शन सिर्फ और सिर्फ हॉस्पिटल में दिया जा सकेगा और इसे घर पर जुटाने की कोशिश न करें.