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RBI गवर्नर ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों का मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्शन की लागत पर असर पड़ता है. (Representational Image)
देश में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की महंगाई अपने रिकॉर्ड स्तर पर है. उपभोक्ता कीमतों में नरमी का इंतजार कर रहे हैं. इस बीच रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने एक उपाय सुझाया है, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आ सकती है. दरअसल, आरबीआई गवर्नर दास ने गुरुवार को बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि फ्यूल की कीमतों में कमी लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को पेट्रोल और डीजल पर टैक्स घटाने के संयुक्त प्रयास होने चाहिए. एकसाथ कदम उठाना इसलिए जरूरी है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें दोनों ही पेट्रोल, डीजल पर टैक्स वसूलती हैं.बता दें, देश के कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. जबकि एक लीटर डीजल के लिए करीब 94 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं.
RBI गवर्नर ने कहा कि केंद्र और राज्यों पर हालांकि अपने-अपने राजस्व का दवाब है. सरकारों को देश और लोगों को कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) के दबाव से बाहर निकालने के लिए सरकारी खर्चे अधिक बढ़ाने की जरूरत है. ऐसे में राजस्व की जरूरत और सरकारों की मजबूरी पूरी तरह से समझ में आती है. लेकिन इसके साथ ही यह भी समझने की जरूरत है कि इसका महंगाई दर पर भी प्रभाव पड़ता है.
बता दें, केंद्र सरकार फिलहाल पेट्रोल पर करीब 33 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है. पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में प्रति रुपये इजाफे से सरकारी खजाने में तकरीबन 14 हजार करोड़ रुपये सालाना की बढ़ोतरी होती है. भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है.
MSME बना ग्रोथ का इंजन
आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों का मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्शन की लागत पर असर पड़ता है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ में रिकवरी का काम कर रहा है. इसके साथ ही देश का एमएसएमई क्षेत्र अर्थव्यवस्था की ग्रोथ का इंजन बनकर आगे आया है. गवर्नर ने कंपनियों को स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में अधिक निवेश करने की जरूरत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि भारत सफलता की राह पर आगे बढ़ने की दहलीज पर खड़ा है.
क्यों महंगा हो रहा है पेट्रोल-डीजल?
एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा के अनुसार, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा तीन प्रमुख कारणों से हैं. पहला, क्रूड की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. बीते दो महीने में करीब 65 फीसदी क्रूड महंगा हो चुका है. दूसरा, दुनिया की कई रिफाइनरी में काम ठप है, जिससे सप्लाई कम हो रही है. तीसरा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल की मांग ज्यादा अधिक है. सर्दियों में आमतौर पर डिमांड ज्यादा रहती है. उस हिसाब से सप्लाई नहीं हो पा रही है.
मालूम हो, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में उछाल सउदी अरब की तरफ से उत्पादन में फरवरी व मार्च के दौरान 10 लाख बैरल प्रति दिन अतिरिक्त कटौती के चलते भी देखा जा रहा है. आर्गनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (OPEC) और उसके सहयोगी, जिसे OPEC+ भी कहते हैं और इसमें रूस भी शमिल है, के बीच समझौते के तहत सउदी अरब उत्पादन में अतिरिक्त कटौती का वादा किया है. इसी के चलते क्रूड की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं, जोकि एक साल में सर्वाधिक है.