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इंपोर्ट में कई गुना बढ़ोतरी और एक्सपोर्ट घट जाने की वजह से देश का व्यापार घाटा बेतहाशा बढ़ गया है.
ICRA estimates the CAD to rise to 5% of GDP in Q2 FY2023: भारतीय रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) ने देश की आर्थिक हालत के बारे में चिंता बढ़ाने वाली तस्वीर पेश की है. ICRA के ताजा अनुमानों के मुताबिक जुलाई से सितंबर 2022 के तीन महीनों के दौरान देश में करेंट एकाउंट डेफिसिट (CAD) यानी चालू खाते के घाटे में बेतहाशा बढ़ोतरी की आशंका है. एजेंसी के मुताबिक CAD में इस इजाफे की बड़ी वजह इंपोर्ट में कई गुना बढ़ोतरी और एक्सपोर्ट का पहले से घट जाना है, जिसकी वजह से देश का व्यापार घाटा बेतहाशा बढ़ गया है.
इक्रा के मुताबिक अप्रैल-जून 2022 के दौरान देश में चालू खाते का घाटा (CAD) जीडीपी के 3.6 फीसदी के बराबर था. लेकिन आशंका है कि सितंबर तिमाही दौरान यह घाटा बढ़कर जीडीपी के 5 फीसदी के बराबर हो जाएगा. इक्रा के मुताबिक अगर ऐसा हुआ तो यह 2011-12 की तीसरी तिमाही के बाद CAD का दूसरा सबसे ऊंचा स्तर होगा. हालांकि राहत की बात यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान CAD में कुछ कमी आएगी और 2022-23 के पूरे कारोबारी साल के लिए यह 3.5 फीसदी के आसपास रहेगा. घाटे में यह कमी मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान कमोडिटी की कीमतों में नरमी की वजह से आ सकती है.
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अगस्त में ढाई गुना बढ़ गया मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट
इक्रा की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश के मर्चेंडाइज इंपोर्ट में अगस्त 2022 के दौरान सालाना (YoY) आधार पर 36.8 फीसदी का उछाल देखने को मिला, जबकि इसी दौरान देश का एक्सपोर्ट 1.2 फीसदी घट गया. इसका नतीजा यह हुआ कि अगस्त में देश का मर्चेंडाइज़ ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापार घाटा बढ़कर 28.7 अरब अमेरिकी डॉलर पर जा पहुंचा. इसके मुकाबले अगस्त 2021 में यह व्यापार घाटा 11.7 अरब डॉलर ही था. यानी अगस्त 2022 में देश के मर्चेंडाइज़ ट्रेड डेफिसिट में सालाना आधार पर करीब ढाई गुने का उछाल आया है. हालांकि जुलाई 2022 के 30 अरब डॉलर के व्यापार घाटे के मुकाबले यह कुछ कम है.
सितंबर तिमाही के लिए इक्रा के अनुमान
इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई-अगस्त 2022 के रुझानों और सितंबर 2022 के अनुमानों को जोड़कर देखें तो मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2022) के दौरान देश का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट 82 से 84 अरब डॉलर के बीच रहेगा, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है. मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2022) के 71 अरब डॉलर के व्यापार घाटे के एस्टिमेट से भी यह करीब 17 फीसदी अधिक है.
एजेंसी के मुताबिक व्यापार घाटे में इस बढ़ोतरी का सीधा असर करेंट एकाउंट डेफिसिट (CAD) पर पड़ेगा. एजेंसी के मुताबिक जून तिमाही में देश का CAD 30 अरब डॉलर के आसपास रहने का अनुमान है, जो जुलाई-सितंबर 2022 के दौरान तेजी से बढ़कर 41 से 43 अरब डॉलर के बीच पहुंच जाएगा. यह वैल्यू के हिसाब से CAD का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर होगा. चालू खाते का यह घाटा जीडीपी के 5% के बराबर होगा, जो 2011-12 की तीसरी तिमाही के 6.8 फीसदी के घाटे के बाद सबसे अधिक है.