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सुप्रीम कोर्ट ने मांगी नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की फाइल, VRS के फौरन बाद नियुक्त किए गए हैं अरुण गोयल

चुनाव आयुक्तों की निष्पक्ष नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कर रही है सुनवाई, इसी दौरान की गई नई नियुक्ति पर उठे गंभीर सवाल.

चुनाव आयुक्तों की निष्पक्ष नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कर रही है सुनवाई, इसी दौरान की गई नई नियुक्ति पर उठे गंभीर सवाल.

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FE Hindi Desk
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अरुण गोयल को नए चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. (फोटो-इंडियन एक्सप्रेस)

पंजाब कैडर के रिटायर्ड IAS अधिकारी अरुण गोयल को VRS के फौरन बाद नए चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. अदालत ने केंद्र सरकार से नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज पेश करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वे यह देखना चाहते हैं कि नियुक्ति में कहीं कुछ गड़बड़ी तो नहीं है. न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ चुनाव आयुक्तों की निष्पक्ष नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही है. पीठ ने सुनवाई के दौरान नियुक्ति किए जाने पर भी सवाल उठाए और कहा कि यह उचित होता अगर इस दौरान नियुक्ति नहीं की जाती. बता दें कि अरुण गोयल चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त होने से एक दिन पहले, 18 नवंबर को वॉलंटरी रिटायरमेंट लेने तक केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव थे. उन्हें VRS के फौरन बाद नियुक्त किया गया है.

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प्रशांत भूषण ने उठाए सवाल

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कोर्ट ने अटार्नी जनरल से कल यानी गुरुवार को गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइलें पेश करने के लिए कहा है. याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि गोयल को पिछले गुरुवार को वॉलंटरी रिटायरमेंट सर्विस (VRS) दी गई थी और उनका नियुक्ति आदेश 21 नवंबर को जारी किया गया. भूषण ने कहा, “अरुण गोयल की नियुक्ति उन्हें वॉलंटरी रिटायरमेंट देकर की गई है. चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किए गए सभी लोग रिटायर्ड लोग हैं. लेकिन वह (अरुण गोयल) सरकार में एक सिटिंग सेक्रेटरी थे. गुरुवार को कोर्ट ने दलीलें सुनीं. शुक्रवार को उन्हें वॉलंटरी रिटायरमेंट दे दी गई. उनका नियुक्ति आदेश शनिवार या रविवार को जारी किया गया. और सोमवार को उन्होंने काम करना शुरू कर दिया."

कोई गड़बड़ी नहीं तो पेश करें दस्तावेज: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि VRS लेने के लिए कर्मचारी को तीन महीने का नोटिस देना होता है. इस पर भूषण ने कहा कि उन्हें संदेह है कि इस मामले में गोयल ने कोई नोटिस दिया होगा. उन्होंने आगे कहा कि अदालत को रिकॉर्ड मांगकर इसकी जांच करनी चाहिए. हालांकि, भारत के अटॉर्नी जरनल आर वेंकटरमणी ने भूषण के इन दावों पर आपत्ति जताई और कहा कि गोयल की नियुक्ति के पीछे कोई साजिश नहीं थी. जस्टिस जोसेफ ने आगे कहा, "…अगर सब कुछ ठीक-ठाक है, जैसा कि आप दावा करते हैं, सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा था, तो आपको डरने की जरूरत नहीं है." उन्होंने वेंकटरमणी से कहा कि अदालत केवल दस्तावेज पेश करने के लिए कह रही है.

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VRS के बाद नियुक्त किए गए अरुण गोयल

बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रिटायर्ड IAS अधिकारी अरुण गोयल को शनिवार, 19 नवंबर को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने 18 नवंबर को वॉलंटरी रिटायरमेंट ले ली थी. गोयल ने नियुक्ति के दो दिन बाद सोमवार को अपना पद ग्रहण किया. गोयल पंजाब कैडर के पूर्व अधिकारी हैं. नौकरी से वॉलंटरी रिटायरमेंट लेने के एक दिन बाद अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया. मई 2022 में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के रूप में सुशील चंद्रा की सेवानिवृत्ति के बाद निर्वाचन आयोग में एक पद खाली था. गोयल इससे पहले भारी उद्योग सचिव के पद पर तैनात थे. उन्होंने संस्कृति मंत्रालय में भी सेवाएं दी हैं. उनकी नियुक्ति ऐसे समय में की गई है, जब गुजरात में एक और पांच दिसंबर को दो चरणों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है.

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