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मौसम का आकलन करने वाली भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का अनुमान अगर सही निकला तो इस बार आम और लीची की मिठास घट सकती है तो दूध और पोल्ट्री प्रोडक्शन भी बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. आईएमडी ने अप्रैल महीने में आशंका जताई है कि इस महीने हीट वेव (लू) का सामना करना पड़ सकता है. आईएमडी के प्रमुख (कृषि, मौसम विज्ञान विभाग) कृपन घोष ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि एक्स्ट्रीम हीट कंडीशंस आम और लीची को प्रभावित करेंगे जो मुख्य रूप से देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्से में होता है.
उन्होंने कहा कि हर जिले की स्थिति को लेकर जो पूर्वानुमान हैं, उन्हें किसानों के लिए जारी किया जा रहा है ताकि वे अपनी फसलों को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त उपाय कर सकें. मौसम विज्ञान विभाग ने इस महीने के अपने आउटलुक में पश्चिम में गुजरात और महाराष्ट्र और पूर्व में ओडिशा समेत देश के भीतरी इलाकों में गर्म और सूखे की परिस्थिति का अनुमान लगाया है. आईएमडी ने अप्रैल में इसे 'कोर हीट जोन' कहा है.
सरसों की जल्द से जल्द कटाई की सलाह
वहीं इंटरनेशनल सोसायटी फॉर एग्रीकल्चर मीटीअरालजी के प्रेसिडेट एन चट्टोपाध्याय का कहना है कि मवेशियों और पोल्ट्री प्रोडक्टिविटी पर भी बढ़ती गर्मी का असर दिखेगा. चट्टोपाध्याय ने कहा कि आम में अभी फल लगे हुए हैं और कोंकण इलाके में यह देरी से आया है. उत्तरी इलाकों की बात करें तो आईएमडी ने किसानों को जल्द से जल्द किसानों को सरसों की तैयार हो चुकी फसल खेतों से निकालने को कहा है ताकि इसके दाने बर्बाद न हों.
पानी की क्या है स्थिति
सेंट्रल वाटर कमीशन (CWC) डेटा के मुताबिक देश के 140 प्रमुख जलाशयों में पानी का जल स्तर पिछले साल की तुलना में अधिक है और पिछले दस साल के औसत जल स्तर से भी अधिक है. कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक दिसंबर और जनवरी में पर्याप्त बारिश के चलते सभी जलस्रोतों में औसतन वाटर लेवल पिछले साल से 7 फीसदी अधिक और 10 साल के औसत से 28 फीसदी अधिक है. हालांकि गुजरात और महाराष्ट्र में स्थिति गंभीर है और 46 जलस्रोतों में पानी का स्तर पिछले साल की तुलना में 5 फीसदी कम है.
अप्रैल के मध्य में मानसून का पहला पूर्वानुमान
आईएमडी दक्षिणी-पश्चिमी मानसून का पूर्वानुमान इस महीने के मध्य तक जारी कर सकती है यानी कि 15 अप्रैल के आस-पास. आमतौर पर यह मानसून 1 जून को केरल के तट पर पहुंचता है. जून में देश के दक्षिणी हिस्से और जुलाई में शेष हिस्से में बारिश के बाद आमतौर पर खरीफ की बुवाई शुरू होती है.
(Article: Sandip Das, Nanda Kasabe)