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Image: PTI
देश के औद्योगिक उत्पादन (Industrial Production) में छह महीने बाद सितंबर माह के दौरान सकारात्मक रुख दिखाई दिया. खनन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 0.2 फीसदी की मामूली ही सही लेकिन वृद्धि रही. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के ताजा आंकड़े के अनुसार मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में 0.6 फीसदी की गिरावट रही. हालांकि खनन और बिजली सेगमेंट में उत्पादन में क्रमश: 1.4 फीसदी और 4.9 फीसदी की वृद्धि हुई. मैन्युफैक्चरिंग में पिछले साल सितंबर में 4.3 फीसदी की गिरावट आयी थी. खनन क्षेत्र का उत्पादन सितंबर 2019 में 8.6 फीसदी घटा था, बिजली उत्पादन में भी 2.6 फीसदी की गिरावट आयी थी.
आईआईपी के पिछले साल सितंबर के आंकड़े को यदि देखा जाये तो इसमें 4.6 फीसदी की गिरावट आयी थी. औद्योगिक उत्पादन में इस साल फरवरी में 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी. उसके बाद कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के कारण मार्च में 18.7 फीसदी, अप्रैल में 57.3 फीसदी, मई में 33.4 फीसदी, जून में 16.6 फीसदी और जुलाई में 10.8 फीसदी की गिरावट इसमें आई. इस बीच, अगस्त के आईआईपी आंकड़ों को संशोधित किया गया है. इसके तहत इसमें 7.4 फीसदी की गिरावट रही, जबकि पिछले महीने जारी अस्थायी आंकड़ों में इसमें 8 फीसदी गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया गया था.
अन्य सेक्टर्स का हाल
कैपिटल गुड्स का उत्पादन सितंबर में 3.3 फीसदी घटा, जबकि एक साल पहले 2019 के इसी महीने में इसमें 20.5 फीसदी की गिरावट आयी थी. कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के मामले में सितंबर में 2.8 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि सितंबर 2019 में इसमें 10.5 फीसदी की गिरावट आयी थी. नॉन-कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का उत्पादन इस साल सितंबर में 4.1 फीसदी बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसी माह में इसमें 1.1 फीसदी की गिरावट आयी थी. आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान आईआईपी में 21.1 फीसदी की गिरावट आयी, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की इसी अवधि में 1.3 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
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सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ‘लॉकडाउन’ से जुड़ी पाबंदियों में ढील के साथ आर्थिक गतिविधियों में अपेक्षाकृत सुधार हुआ है. इसके साथ डेटा कलेक्शन की स्थिति भी बेहतर हुई है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद के महीनों के आईआईपी आंकड़ों की तुलना महामारी वाले महीनों से करना उपयुक्त नहीं है.