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The department has issued orange and yellow alerts, which are valid till Friday morning.
IMD Monsoon Forecast 2021: कोरोना संकट के बीच भारत मौसम विभाग (IMD) से मानूसन (Monsoon) को लेकर अच्छी खबर आई है. इस साल देश में मानूसन सामान्य रहने का अनुमान है. IMD के अनुसार लांग टर्म पीरियड एवरेज में मॉनसून 96 से 104 फीसदी रह सकता है. आईएमडी के अनुसार अल नीनो की स्थिति न्यूट्रल बनी हुई है, इसके आगे बढ़ने की संभावना कम है. इस साल मॉनूसन लांग पीरियड एवरेज (LPA) का 5 फीसदी एरर के साथ 98 फीसदी रह सकता है. फिलहाल एक ओर जहां कोरोना वायरस के चलते चिंता बनी हुई है, आईएएमडी ने मॉनूसन को लेकर राहत की खबर दी है. बता दें कि मॉनसून का सीधा संबंध देश की अर्थव्यवस्था से है.
1961-2010 के बीच मॉनूसी बारिश का देश में औसत 88 cm रहा है. बता दें कि दक्षिण पश्चिम मसॅनूसन के चलते ही देश में ज्यादातर बारिश होती है. आईएमडी ने कहा कि इस बात की संभावना बेहद कम है कि बारिश सामान्य से कमजोर हो. फिलहाल न्यूट्रल अलनीनो की स्थिति बनी हुई है. जून के पहले हफ्ते में आईएमडी द्वारा मानूसन को लेकर अपना दूसरा अनुमान जारी किया जा सकता है. इसके पहले स्काईमेट ने भी देश में इस साल सामान्य मॉनसून का अनुमान लगाया था. स्काईमेट के अनुसार इस साल LPA का 103 फीसदी बारिश हो सकती है.
कितनी बारिश पर क्या स्थिति
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क्या है अलनीनो?
प्रशांत महासागर में पेरू के पास समुद्री तट के गर्म होने वाली घटना को अलनीनो कहा जाता है. पिछले कुछ सालों से प्रशांत महासागर की सतह का तापमान बढ़ रहा है. अलनीनो की वजह से समुद्री हवाओं का रुख बदल जाता है. इसका असर ये होता है कि ज्यादा बारिश वाले क्षेत्रों में बारिश नहीं होती और इसके उलट जिन इलाकों में बारिश नहीं होती है, वहां मूसलाधार बारिश होती है.
अर्थव्यवस्था के लिए अहम है मानसून
बता दें कि भारत में होने वाली कुल बारिश का करीब 80 फीसदी बारिया मानसून सीजन में ही होती है. अमूमन यह जून के अंत से शुरू होता है और सितंबर तक जारी रहता है. मानसून देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है. भारत में खेती बारी पूरी तरह से मानसून पर ही निर्भर है. ऐसे में अच्छी बारिश का मतलब है कि ज्यादा पैदावार और ज्यादा पैदावार का मतलब है कि रूरल इनकम में सुधार.
बेहतर मानसून का देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान है. असल में जब रूरल इनकम बढ़ती है तो कंजम्पशन में भी बढ़ोत्तरी होती है. एफएमसीजी, आटो, कंज्यूमर सेक्टर में इस मांग का बड़ा असर देखा जाता है. मांग बढ़ने से बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का अवसर मिलता है.