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J-K Terror Attack: एलओसी (LoC) यानी लाइन ऑफ कंट्रोल पर कुछ जगहों पर पाकिस्तान सेना की ओर से छोटे हथियारों से फायरिंग की गई. भारतीय सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया. (Image: FE File)
Pahalgam Attack: पहलगाम हमले पर बड़ी अपडेट सामने आ रही है. एलओसी (LoC) यानी लाइन ऑफ कंट्रोल पर पाकिस्तानी सेना की ओर से की गई फायरिंग का भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया. सेना अधिकारियों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
Small arms firing at some places on the Line of Control were initiated by the Pakistan Army. Effectively responded to by the Indian Army. No casualties. Further details are being ascertained: Indian Army officials pic.twitter.com/SlBSDPSJHA
— ANI (@ANI) April 25, 2025
एजेंसी के मुताबिक थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी जल्द ही श्रीनगर और उधमपुर के दौरे पर जाएंगे. रक्षा अधिकारियों के अनुसार, इस दौरान वे कश्मीर घाटी में तैनात वरिष्ठ सेना कमांडरों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे. जनरल द्विवेदी घाटी में मौजूदा सुरक्षा हालात की समीक्षा करेंगे, साथ ही नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तान सेना द्वारा किए जा रहे संघर्षविराम उल्लंघन के प्रयासों पर भी चर्चा करेंगे.
Army chief Gen Upendra Dwivedi will leave for Srinagar and Udhampur shortly. He is scheduled to meet senior Army commanders deployed in the Kashmir valley along with officials of other security agencies. He will be reviewing the ongoing security situation in the valley and… pic.twitter.com/1UUcwQupP7
— ANI (@ANI) April 25, 2025
इससे पहले, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद केंद्र सरकार ने सभी राजनीतिक दलों की एक ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई. इस बैठक में सभी दलों के नेताओं को हमले से जुड़े हालात की जानकारी दी गई. मीटिंग बंद कमरे में हुई और सूत्रों के अनुसार, सरकार ने इस दौरान माना कि सुरक्षा में चूक हुई, जिसकी वजह से ये दर्दनाक हमला हुआ. बैठक में मौजूद एक सत्तारूढ़ पार्टी के नेता ने विपक्ष से साफ कहा - अगर कुछ गलत नहीं हुआ होता, तो हम सब यहां क्यों बैठे होते? इस बयान ने साफ कर दिया कि सरकार ने पहली बार इस हमले में सुरक्षा एजेंसियों की कमी को स्वीकार किया है.
विपक्ष ने जवाब मांगे, सरकार ने दी प्रतिक्रिया
विपक्षी नेताओं ने बैठक में पूछा कि हमले के वक्त सुरक्षा बल कहाँ थे और जवाब देने में इतनी देर क्यों हुई? कई नेताओं ने सीधा सवाल उठाया – “CRPF और क्विक रिस्पॉन्स टीम्स कहां थीं?”
इसके जवाब में सरकार ने बताया कि जिस जगह (बैसरण घास का मैदान) पर हमला हुआ, उसे स्थानीय प्रशासन ने बिना केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को बताए ही आम लोगों के लिए खोल दिया था. यह एक बड़ी चूक थी, खासकर जब कुछ ही दिन बाद अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली थी.
अधिकारियों ने यह भी बताया कि यह इलाका पहाड़ी है और वहाँ तक पहुँचने में लगभग 45 मिनट की चढ़ाई करनी पड़ती है. इसके अलावा, वहाँ सुरक्षा से जुड़ी ज़रूरी गाइडलाइंस (Standard Operating Procedures) भी लागू नहीं की गई थीं.
कारवाई को लेकर सरकार को मिला सभी दलों का समर्थन
गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने सभी राजनीतिक दलों को जानकारी दी और साफ कहा कि आतंकवाद को लेकर सरकार की "जीरो टॉलरेंस" नीति जारी रहेगी. संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू ने बताया कि कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में जो फैसले लिए गए, उनकी जानकारी सभी दलों को दी गई है और सभी नेताओं ने सख्त कार्रवाई के लिए सरकार को पूरा समर्थन देने की बात कही है. रिजिजू ने कहा, “प्रधानमंत्री और सरकार सख्त कदम उठाएंगे, पूरा देश एकजुट है.”
विपक्ष ने की ज़िम्मेदारी तय करने की मांग
सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और सरकार को समर्थन देने का भरोसा दिलाया. इसमें कांग्रेस के राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय शामिल रहे.
खड़गे ने इसे सुरक्षा में गंभीर चूक बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद आगे आकर जवाबदेही तय करनी चाहिए. वहीं ओवैसी ने पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने की बात कही और साथ ही यह भी कहा कि कश्मीरियों के खिलाफ झूठा प्रचार बंद होना चाहिए.
राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, इस बार एक दुर्लभ एकता देखने को मिली. NCP, AAP, DMK, BJD, TDP और अन्य दलों के नेताओं ने सरकार के रुख का समर्थन किया. IUML के हैरिस बीरन ने कहा, "हम प्रधानमंत्री के साथ हैं, पूरा देश एकजुट है." वहीं बीजेडी के सांसद सस्मित पात्रा ने कहा, "सभी दल इस बात पर एकमत हैं कि दोषियों को सज़ा दिलाना ज़रूरी है."
सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी ही नहीं, बल्कि इस अहम बैठक में खुफिया एजेंसियों और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी सभी दलों को मौजूदा सुरक्षा इंतज़ामों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आतंकवाद से निपटने के लिए ज़मीन पर क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं और आगे क्या योजनाएं हैं.