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प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलिफेंट की कामयाबी के बाद भारत अब प्रोजेक्ट डॉल्फिन लॉन्च करेगा.
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74th Independence Day: प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलिफेंट की कामयाबी के बाद भारत अब प्रोजेक्ट डॉल्फिन लॉन्च करेगा जिसका मकसद देश की नदियों और समंदर में पाई जाने वाली डॉल्फिन की रक्षा करना है. प्रोजेक्ट डॉल्फिन को लॉन्च करने का एलान आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान किया. डॉल्फिन पानी पर आधारित इकोसिस्टम के टॉप पर रहती है और यह नदियों और दूसरे जल में रहने वाले जंतुओं की सेहत के लिए बहुत जरूरी है.
नदियों और समंदर के लिए जरूरी
डॉल्फिन फिश जैसे ‘Susu’ की गिनती को पानी पर आधारित इकोसिस्टम की कुल सेहत का संकेतक भी माना जाता है. पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, इस कदम से प्रजातियों के संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कदमों को बढ़ावा मिलेगा. इसमें अलग-अलग हितधारकों के सशक्तिकरण पर काम होगा जिसमें नदियों पर निर्भर आबादी द्वारा सुरक्षा के लिए कदम लिए जाएंगे जिसमें वैज्ञानिक तरीकों के साथ सस्टेनेबल फिशिंग भी शामिल है. पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि यह 10 साल लंबा प्रोजेक्ट होगा.
भारत की नदियों में 3700 डॉल्फिन
गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदियों में पाए जाने के अलावा इस प्रजाति को नदियों की छोटी सहायक नदियों में बी पाया जाता है जिसमें चंबल, सोन, गंडक, घाघरा, कोसी आदि. जो भौगोलिक क्षेत्र जहां डॉल्फिन को नियमित तौर से देखा जाता है, उसमें पूरे उत्तर के मैदान शामिल हैं जो गंगा और ब्रह्मपुत्र द्वारा बनाए गए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड आदि शामिल है. यह प्रजाति भारत के पड़ोसी देशों में भी मिलती है जिसमें नेपाल और बांग्लादेश शामिल है.
पीटीआई द्वारा दिए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय नदियों की व्यवस्था में लगभग 3700 डॉल्फिन मौजूद हैं. प्रोजेक्ट डॉल्फिन मोदी सरकार के जारी नमामि गंगे मिशन की भी मदद करेगा जिसका मकसद गंगा नदी को पूरी तरह साफ बनाना है.