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‘INDIA’ condemns raids: इंडिया अलायंस ने की पत्रकारों पर छापेमारी की निंदा, कहा-सच बोलने वालों को निशाना बना रही सरकार

Journalist bodies condemn raids: पत्रकार संगठनों ने न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई को बताया प्रेस की आजादी को कुचलने की सरकार की कोशिश.

Journalist bodies condemn raids: पत्रकार संगठनों ने न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई को बताया प्रेस की आजादी को कुचलने की सरकार की कोशिश.

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FE Hindi Desk
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दिल्ली पुलिस ने न्यूज क्लिक के लिए काम करने वाले कई वरिष्ठ पत्रकारों के घरों पर छापे मारे. परॉन्जय गुहा ठाकुरता और उर्मिलेश समेत कई पत्रकारों को पुलिस पूछताछ के लिए अपने साथ भी ले गई. (Photo: PTI)

INDIA alliance, Journalist bodies condemn raid on NewsClick: देश के प्रमुख विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया (INDIA) और प्रमुख पत्रकार संगठनों ने न्यूज पोर्टल न्यूजक्लिक और उससे जुड़े कई पत्रकारों के खिलाफ दिल्ली पुलिस के छापों की कड़ी आलोचना की है. इंडिया अलायंस की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार उन लोगों को निशाना बना रही है जो सत्ता के सामने सच बोलने का साहस करते हैं. बयान में आरोप लगाया गया है कि बीजेपी सरकार सिर्फ उन लोगों के खिलाफ ताकत का इस्तेमाल करती है, जो सत्ता से डरे बिना सच बोलते हैं, जबकि समाज में नफरत फैलाने और लोगों को आपस में बांटने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती. कांग्रेस ने कहा है कि यह कार्रवाई इसलिए हुई है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सवाल पूछने वालों से घबराते हैं. पत्रकार संगठनों भी दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर चिंता और नाराजगी का इजहार किया है. दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सरकार का पक्ष रखते हुए दावा किया कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र हैं और कोई कुछ भी गलत करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है.

नफरत फैलाने वालों पर कार्रवाई नहीं करती बीजेपी सरकार: INDIA

इंडिया अलायंस की तरफ से जारी बयान में कहा है कि "भाजपा सरकार ताकत का इस्तेमाल सिर्फ उन मीडिया संगठनों और पत्रकारों के खिलाफ करती है, जो सत्ता के सामने सच बोलने की हिम्मत करते हैं. लेकिन देश में नफरत और विभाजन भड़काने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात आती है तो भाजपा सरकार को लकवा हो जाता है." बयान में यह आरोप भी लगाया गया है कि सरकार ने अपने करीबी पूंजीपतियों को मीडिया संगठनों पर कब्ज़ा करने की छूट देकर मीडिया को अपने हितों की पैरवी करने वाले प्रवक्ताओं में तब्दील करने की कोशिश की है. इतना ही नहीं, मोदी सरकार मीडिया को निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने से रोकने के लिए इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी एक्ट 2021 जैसी प्रतिगामी नीतियां (regressive policies) भी लेकर आई है, जिसकी आड़ में बीजेपी न सिर्फ अपने कारनामों को भारत की जनता से छिपाना चाहती है, बल्कि इससे परिपक्व लोकतंत्र के तौर पर सारी दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को भी नुकसान हो रहा है.

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अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाने के लिए मीडिया पर हमला : INDIA

इंडिया गठबंधन ने कहा है कि सरकार को अपनी नाकामियों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए मीडिया पर हमला करना बंद करके आम लोगों को परेशान करने वाले असली मुद्दों पर फोकस करना चाहिए. बयान में कहा गया है कि इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां मीडिया पर सरकार के ताजा हमले की कड़ी निंदा करती हैं और संविधान द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मीडिया के साथ खुलकर खड़े हैं.'' विपक्षी दलों ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में, बीजेपी सरकार ने बीबीसी, न्यूज़लॉन्ड्री, दैनिक भास्कर, भारत समाचार, द कश्मीर वाला, द वायर समेत कई मीडिया संगठनों की आवाज को दबाने और उन्हें परेशान करने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया है. न्यूज क्लिक के पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई इसी सिलसिले की ताजा कड़ी है.

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सवाल पूछने वालों से घबराते हैं पीएम मोदी : कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई बताती है कि पीएम मोदी सवाल पूछने वालों से घबराते हैं. पार्टी ने X (ट्विटर) पर लिखा है, “पीएम मोदी डरे हुए हैं, घबराए हुए हैं. खासतौर से उन लोगों से जो उनकी विफलताओं पर, उनकी नाकामियों पर उनसे सवाल पूछते हैं. वो विपक्ष के नेता हों या फिर पत्रकार, सच बोलने वालों को प्रताड़ित किया जाएगा. आज फिर से पत्रकारों पर छापेमारी इसी बात का प्रमाण है.” एक और पोस्ट में कांग्रेस ने इस बात की तरफ ध्यान खींचा है कि प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में 161वें नंबर पर है. कांग्रेस के अलावा जेडीयू, डीएमके, आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भी अलग-अलग बयानों में पत्रकारों के पर छापेमारी और उनके खिलाफ UAPA के तहत केस दर्ज किए जाने को प्रेस की आजादी पर हमला बताते हुए कड़ी आलोचना की है.

जांच एजेंसियां स्वतंत्र हैं : अनुराग ठाकुर

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस मसले पर सरकार का रुख साफ करते हुए कहा कि उन्हें इस मामले में कोई सफाई देने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, "मुझे जस्टिफाई करने की जरूरत नहीं है. अगर कोई कुछ भी गलत करता है तो जांच एजेंसियां ​​उसके खिलाफ कार्रवाई करती हैं. जांच एजेंसियां ​​स्वतंत्र हैं और नियमों के मुताबिक काम करती हैं."

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पत्रकार संगठनों ने की छापेमारी की निंदा

देश के कई पत्रकार संगठनों ने भी न्यूज़क्लिक और उसके पत्रकारों पर दिल्ली पुलिस की छापेमारी की निंदा की है. इनमें से कुछ संगठनों ने कहा कि यह प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने की कोशिश है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा कि वह न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के घरों पर छापेमारी को लेकर बेहद चिंतित है. 'एक्स' पर जारी बयान में प्रेस क्लब ने लिखा है, “पीसीआई पत्रकारों के साथ एकजुटता से खड़ा है और सरकार से इस बारे में पूरी जानकारी देने की मांग करता है." DIGIPUB न्यूज इंडिया फाउंडेशन ने कहा, "पत्रकारों को हिरासत में लिया जाना, उनके फोन और लैपटॉप जब्त कर लेना सरकार के मनमाने और डराने-धमकाने वाले बर्ताव का एक और उदाहरण है.''

किसानों-मजदूरों के मुद्दे उठाने पर निशाना बनाया : पत्रकार संगठन

नेशनल अलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (दिल्ली इकाई) ने भी अपने बयान में पत्रकारों के घरों पर दिल्ली पुलिस के छापों की निंदा की है. इन संगठनों ने कहा है कि दिल्ली पुलिस ने मंगलवार की सुबह भाषा सिंह, उर्मिलेश, प्रबीर पुरकायस्थ, परंजॉय गुहा ठाकुरता, तीस्ता सीतलवाड़, अभिसार शर्मा, अनिंद्यो चक्रवर्ती, महेश कुमार, सुबोध वर्मा, अदिति निगम, मुकुंद झा समेत कई लोगों के घरों पर छापेमारी की और कई पत्रकारों को हिरासत में भी लिया गया. बयान में आरोप लगाया गया है कि न्यूज क्लिक द्वारा मजदूरों और किसानों के मुद्दों पर किए गए कवरेज की वजह से ही सरकार न्यूज़क्लिक को निशाना बना रही है.” इसमें कहा गया है, "हमारा मानना ​​है कि यह प्रेस की आजादी को खत्म करने का केंद्र सरकार का एक और प्रयास है. किसी भी मीडिया संगठन से जुड़े लगभग सभी कर्मचारियों पर छापा मारने और डराने-धमकाने की ऐसी कार्रवाई देश में अब से पहले कभी नहीं देखी गई…ये नए छापे रोजगार जैसे ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने की कोशिश हैं…हम केंद्र से प्रेस की स्वतंत्रता पर इस हमले को तुरंत रोकने का आग्रह करते हैं." बयान में इस बात की ओर भी ध्यान खींचा गया है कि न्यूज़क्लिक का मैनेजमेंट कहता रहा है कि उन्हें जो भी फंडिंग मिली है वह कानूनी स्रोतों से प्राप्त हुई है और इसके सबूत दिल्ली हाईकोर्ट में पेश भी किए जा चुके हैं.

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