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75 वर्षों में देश का बजट कितना बढ़ा, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि स्वतंत्र भारत के पहले बजट में 171 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च था जबकि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए यह आंकड़ा 39.45 लाख करोड़ रुपये है.
India@75: भारतीय स्वतंत्रता का 75वां वर्ष चल रहा है और देश भर में 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाया जा रहा है. इन 75 वर्षों में भारत ने बहुत कुछ हासिल किया है और विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. बजट की बात करें तो जो सरकार की कमाई और खर्च का ब्यौरा होता है तो इन 75 वर्षों में देश का बजट कितना बढ़ा, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि स्वतंत्र भारत के पहले बजट में 171 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च था जबकि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए यह आंकड़ा 39.45 लाख करोड़ रुपये है.
पहले बजट में 171 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का अनुमान
स्वतंत्र भारत का पहला बजट महज कुछ महीनों यानी 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 के लिए था. बजट में तीन मुख्य खर्च अनाज उत्पाजन, रक्षा सेवाओं और सिविल एक्सपेंडिचर का था. इस बजट को तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुखम चेट्टी ने पेश किया था. इस बजट में करीब 171 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का लक्ष्य था और रेवेन्यू एक्सपेंडिचर का अनुमान 197 करोड़ रुपये का था.
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गणतंत्र बनने के बाद का पहला बजट
भारत 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र बना था यानी कि इस दिन देश का संविधान पूरी तरह से लागू हुआ था. इसके बाद के बजट की बात करें यानी कि अगले वित्त वर्ष 1951-52 की तो इसमें रेवेन्यू 387 करोड़ रुपये और एक्सपेंडिचर 379 करोड़ रुपये अनुमानित था.
इकॉनमिक लिबरलाइजेशन का बजट
करीब तीस साल पहले भारत की इकॉनमी वैश्विक कंपनियों के लिए खुल गई यानी कि इकनॉमिक लिबरलाइजेशन का दौर आया. इस समय 1991-92 का बजट तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने पेश किया था और इसमें 103698 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का अनुमान व्यक्त किया गया था जबकि एक्सपेंडिचर का अनुमान 113422 करोड़ रुपये का था.
मौजूदा वित्त वर्ष का बजट
मौजूदा वित्त वर्ष का बजट देश की पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया. यह बजट 39.45 लाख करोड़ रुपये का था.