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भारत का राजस्व घाटा 7 माह में ही 7.2 लाख करोड़, पूरे साल के बजट लक्ष्य का 102% हुआ

अप्रैल से अक्टूबर के दौरान भारत का राजस्व घाटा 7.2 लाख करोड़ रहा है, जो लक्ष्य का 102 फीसदी है.

अप्रैल से अक्टूबर के दौरान भारत का राजस्व घाटा 7.2 लाख करोड़ रहा है, जो लक्ष्य का 102 फीसदी है.

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Fiscal Deficit: अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं. भारत का राजस्व घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर के दौरान ही पूरे साल के बजट लक्ष्य को पार कर गया है. इस दौरान भारत सरकार का राजस्व घाटा 7.2 लाख करोड़ रहा है जो लक्ष्य का 102 फीसदी है. बता दें कि सरकार ने बजट में राजस्व घाटे का लक्ष्य 7.03 लाख करोड़ रुपये रखा था. सरकार ने शुक्रवार को राजस्व घाटे का आंकड़ा जारी किया है. एक साल पहले की समान अवधि में राजस्व घाटा 6.48 लाख करोड़ रुपये रहा था.

कुल खर्च 16.55 लाख करोड़

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इस इस दौरान कुल करों की प्राप्ति 6.83 लाख करोड़ रुपये रहा है. जबकि कुल खर्च 16.55 लाख करोड़ रुपये रहा है. अप्रैल से अक्टूबर के दौरान रेवेन्यू गैप बढ़कर 5.46 लाख करोड़ रुपये हो गया है. टैक्स कलेक्शन में कमजोरी की वजह से रेवेन्यू गैप बढ़ा. इस दौरान रेवेन्यू डेफिसिट बढ़कर 61,400 करोउ़ रुपये हो गया. बजट में पूरे वित्त वर्ष के लिए राजस्व घाटे का अनुमान जीडीपी का 3.3 फीसदी रखा या था. लेकिन यह पहले ही 7 महीनों में पार हो गया.

फिस्कल डेफिसिट: अक्टूबर के आंकड़े

  • अक्टूबर महीने में राजस्व घाटा 68900 करोड़ रुपये रहा. एक साल पहले की समान अवधि में 53900 करोड़ रुपये था.
  • अक्टूबर में रेवेन्यू डेफिसिट सालाना आधार पर 40800 करोड़ से बढ़कर 61400 करोड़ रुपये हो गया है.
  • इस दौरान कुल स्पेंडिंग 1.52 लाख करोड़ से बढ़कर 1.66 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
  • इस दौरान कुल प्राप्तियां 98500 से घटकर 97400 करोड़ रुपये हो गया है.
  • अक्टूबर महीने में सरकार को सालाना आधार पर टैक्स के रूप में 1.33 लाख करोड़ से घटकर 1.32 लाख करोड़ रुपये मिला. 

GDP ग्रोथ रेट 4.5 फीसदी पर

अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने और ग्रोथ को रफ्तार देने की तमाम कोशिशों के बावजूद मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर ​तगड़ा झटका लगा है. देश की आर्थिक ​विकास दर चालू वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में घटकर 4.5 फीसदी पर आ गई. यह पिछली 26 तिमाही में सबसे कम है. पहली तिमाही में विकास दर 5 फीसदी पर आ गई है. वहीं, पिछले वित्‍त वर्ष की समान तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी दर्ज की गई थी. ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) सितंबर तिमाही में घटकर 4.3 फीसदी रह गया है. पहली तिमाही में यह 4.9 फीसदी दर्ज किया गया था. जबकि एक साल पहले की दूसरी तिमाही में 6.9 फीसदी पर था.