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Moody's का वृद्धि दर का अनुमान 2023-24 की पहली तिमाही के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के 8 फीसदी के अनुमान से काफी कम है.
Rating Agency Moody's sees India's GDP expanding 6-6.3 pc in Q1 of FY24 flags fiscal slippage risks: रेटिंग एजेंसी मूडीज (Rating Agency Moody's) का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष (FY2023-24) की जून में समाप्त होने वाली तिमाही यानी पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6 से 6.3 फीसदी की दर से बढ़ेगी. इसके साथ ही मूडीज ने सरकार का रेवेन्यू उम्मीद से कम रहने की वजह से राजकोषीय मोर्चे पर ‘फिसलन’ (flagged risks of fiscal slippage) की भी आशंका जताई है. मूडीज का वृद्धि दर का अनुमान 2023-24 की पहली तिमाही के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के 8 फीसदी के अनुमान से काफी कम है.
मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज के एसोसिएट मैनेजिंग डायरेक्टर जीन फैंग (Moody's Investors Service Associate Managing Director Gene Fang) ने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा कि 2022-23 के लिए भारत का सामान्य सरकारी कर्ज (general government debt) सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के काफी उच्चस्तर यानी 81.8 फिसदी पर रहा है जबकि ऋण क्षमता इससे काफी कम (low debt affordability.) है. उन्होंने कहा कि भारत के पास ऊंची वृद्धि हासिल करने की क्षमता है और इसकी ताकत सरकारी ऋण के लिए स्थिर घरेलू वित्तीय आधार (stable domestic financing base) और मजबूत बाहरी स्थिति (sound external position) है.
FY23 की अंतिम तिमाही के मुकाबले देश की ग्रोथ रेट बढ़ने की उम्मीद
मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज के जीन फैंग ने कहा कि रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की वृद्धि दर लगभग 6-6.3 फीसदी होगी, जो वित्त वर्ष 2022-23 की अंतिम तिमाही में दर्ज 6.1 प्रतिशत की वृद्धि के आसपास ही है. उन्होंने कहा कि महंगाई के नीचे आने की वजह से मूडीज को उम्मीद है कि परिवारों की मांग सुधरेगी. फैंग ने कहा कि ‘बीएए3’ (Baa3) की सॉवरेन रेटिंग के साथ भारत की ताकत उसकी बड़ी और विविधता वाली अर्थव्यवस्था है जिसमें ऊंची वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता है. इसका अंदाजा कमजोर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच वृद्धि के मजबूत अनुमान से लगाया जा सकता है.
FY24 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.9% रखा गया है
इस दौरान जीन फैंग ने कहा कि सरकार ने राजकोषीय नीति पर चिंताओं को दूर करते हुए पिछले दो साल में अपने राजकोषीय लक्ष्यों को व्यापक रूप से हासिल किया है. सरकार का राजकोषीय घाटा 2022-23 में घटकर जीडीपी का 6.4 फीसदी रह गया, जो 2021-22 में 6.7 फीसदी था. सरकार के खर्च और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है. चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.9 फीसदी रखा गया है.
राजकोषीय मोर्चे पर फिसलन की है आशंका: Moody's
एसोसिएट मैनेजिंग डायरेक्टर फैंग ने कहा कि चूंकि सरकार उच्च मुद्रास्फीति और कमजोर वैश्विक मांग व मई, 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की अपनी अधिक तात्कालिक प्राथमिकता के खिलाफ दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को संतुलित कर रही है, ऐसे में हमें लगता है कि राजकोषीय मोर्चे पर फिसलन की आशंका है.
मूडीज का अनुमान है कि पूरे 2023-24 के वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहेगी, जबकि अगले वित्त वर्ष में यह 6.3 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. कैलेंडर ईयर के आधार पर मूडीज को 2023 में वृद्धि दर के 5.5 फीसदी पर रहने की उम्मीद है, जो 2024 में बढ़कर 6.5 फीसदी हो सकती है. पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मौद्रिक नीति समीक्षा (RBI monetary policy) में चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर के 6.5 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है.
FY24 की पहली तिमाही में 8% ग्रोथ रेट की उम्मीद: RBI
रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर 8 फीसदी रहेगी. दूसरी तिमाही में यह 6.5 फीसदी, तीसरी में 6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.7 फीसदी रहेगी. फैंग ने कहा कि सरकार का सामान्य सरकारी कर्ज 2022-23 में जीडीपी का 81.8 प्रतिशत रहा है, जो काफी ऊंचा है. बीएए रेटिंग वाले स्थानों (Baa-rated median) के लिए इसका औसत 56 फीसदी है.