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IMF ने चेताया: भारत की अर्थव्यवस्था गंभीर सुस्ती के दौर में, तुरंत कदम उठाने की जरूरत

भारतीय अर्थव्यवस्था में हाल के वर्षों में जो जोरदार विस्तार हुआ है, उससे लाखों लोगों को गरीबी से निकालने में मदद मिली.

भारतीय अर्थव्यवस्था में हाल के वर्षों में जो जोरदार विस्तार हुआ है, उससे लाखों लोगों को गरीबी से निकालने में मदद मिली.

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PTI
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India in the midst of major economic slowdown, urgent actions needed: IMF

Image: Reuters

India in the midst of major economic slowdown, urgent actions needed: IMF Image: Reuters

भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय गंभीर सुस्ती के दौर में है और सरकार को इसे उबारने के लिए तत्काल नीतिगत उपाय करने की जरूरत है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने यह बात कही है. सोमवार को जारी रिपोर्ट में IMF के निदेशकों ने लिखा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में हाल के वर्षों में जो जोरदार विस्तार हुआ है, उससे लाखों लोगों को गरीबी से निकालने में मदद मिली. हालांकि, 2019 की पहली छमाही में विभिन्न कारणों से भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सुस्त पड़ी है.

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IMF एशिया और प्रशांत विभाग में भारत के लिए मिशन प्रमुख रानिल सलगादो ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘भारत के साथ मुख्य मुद्दा अर्थव्यवस्था में सुस्ती का है. हमारा अब भी मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती संरचनात्मक नहीं, चक्रीय है. इसकी वजह वित्तीय क्षेत्र का संकट है. इसमें सुधार उतना तेज नहीं होगा, जितना हमने पहले सोचा था. यह मुख्य मुद्दा है.’’ इस दौरान IMF ने भारत पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट भी जारी की.

ठोस मैक्रो इकोनॉमिक प्रबंधन पर जोर

भारत के लिए परिदृश्य नीचे की ओर जाने का है. ऐसे में आईएमएफ के निदेशकों ने ठोस मैक्रो इकोनॉमिक प्रबंधन पर जोर दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निदेशकों को लगता है कि मजबूत जनादेश वाली नई सरकार के सामने यह सुधारों को आगे बढ़ाने का एक बेहतर अवसर है. इससे समावेशी और सतत वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा.

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Q2 में GDP ग्रोथ रेट 6 साल के निचले स्तर पर

सलगादो ने कहा कि भारत इस समय गंभीर सुस्ती के दौर में है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 4.5 फीसदी पर आ गई है, जो इसका छह साल का निचला स्तर है. वृद्धि आंकड़ों से पता चलता है कि तिमाही के दौरान घरेलू मांग सिर्फ एक फीसदी बढ़ी है. सलगादो ने कहा कि इसकी वजह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के ऋण में कमी है. इसके अलावा व्यापक रूप से ऋण को लेकर परिस्थितियां सख्त हुई हैं. साथ ही आमदनी, विशेषरूप से ग्रामीण आय कम रही है. इससे निजी उपभोग प्रभावित हुआ है.

Imf