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भारत लगभग 550 उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को भारत में शिफ्ट करने के लिए बातचीत कर रहा है. (Reuters)
भारत लगभग 550 उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को भारत में शिफ्ट करने के लिए बातचीत कर रहा है. (Reuters)अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप द्वारा कोरोनावायरस महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद भारत अमेरिकी कंपनियों को देश में आने के लिए लुभाने की कोशिश कर रहा है. इस लिस्ट में अबॉट जैसी दवा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी भी शामिल है. एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सरकार ने अप्रैल में अमेरिका में विदेशी मिशन के जरिए 1,000 से अधिक कंपनियों से संपर्क किया. चीन से बाहर निकलने की सोच रही कंपनियों को इसेंटिव की भी पेशकश की गई है.
भारत की प्राथमिकता मेडिकल इक्विपमेंट सप्लाई करने वाली कंपनियों, फूड प्रॉसेसिंग कंपनियों, टेक्सटाइल्स, लेदर व ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियां हैं. वैसे भारत लगभग 550 उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को भारत में शिफ्ट करने के लिए बातचीत कर रहा है.
अगर देश में ​निवेश बढ़ता है तो इससे मोदी सरकार की कोविड19 लॉकडाउन की वजह से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने में मदद होगी. साथ ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को 2022 तक जीडीपी के 15 फीसदी से 25 फीसदी तक पहुंचाने में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा भारत के लिए लंबे समय से अटके भूमि, श्रम और कर सुधारों को भी पुश करने में मदद होगी.
ग्लोबल ट्रेड समझौते होंगे बुरी तरह प्रभावित
ट्रंप द्वारा कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में भारी कड़वाहट आने और ग्लोबल ट्रेड समझौतों के बुरी तरह प्रभावित होने का अनुमान है. इसकी वजह है कि सप्लाई चेन को डायवर्सिफाई करने के लिए कंपनियां और सरकारें चीन से अपनी कंपनियों को दूसरे देशों में शिफ्ट करने की सोच रही हैं. जापान ने चीन से अपनी फैक्ट्रियों को हटाने के लिए 2.2 अरब डॉलर की मदद देने की योजना बनाई है, जबकि यूरोपीय संघ के देशों ने चीनी आपूर्तिकर्ताओं पर अपनी निर्भरता कम करने की योजना बनाई है.
हेल्थकेयर कंपनियों पर खास फोकस
एक अधिकारी ने बताया कि भारत को उम्मीद है कि वह चीन से खासकर हेल्थकेयर प्रॉडक्ट्स एवं डिवाइसेज बनाने वाली अमेरिकी कंपनियों को भारत लाने में सफल होगा. वह इसके लिए मेडट्रॉनिक पीएलसी और अबॉट लेबोरेट्रीज को चीन से भारत लाने के लिए बातचीत कर रहा है. मेडट्रॉनिक व अबॉट पहले से ही भारत में हैं और उन्हें चीन से अपना संयंत्र भारत लाने में बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
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