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The fundraising is one of the largest of 2020 in a single round for a tech start-up.
India Remittances: खाड़ी देशों से भारत में आने वाले रेमिटेंस में अचानक से बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. इसमें आगे और बढ़ोत्तरी हो सकती है. असल में भारतीय करंसी में लगातार कमजोरी बनी हुई है. यह 74 प्रति डॉलर के आस पास पहुंच गया है. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि रुपया आगे और कमजोर हो सकता है. दूसरी ओर डॉलर इंडेक्स में तेली बनी हुई है. ऐसे में आने वाले दिनों में देश में आने वाले रेमिटेंस में भी उछाल देखने को तिलेगा. बता दें कि रेमिटेंस पाने के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है. हालांकि लॉकडाउन में घर वापसी के चलते रेमिटेंस में भारी गिरावट आई थी.
रेमिटेंस के मामले में भारत नंबर 1
भारत में 2019 में कुल 8310 करोड़ डॉलर का रेमिटेंस हासिल हुआ था. हालांकि विश्व बैंक का अनुमान है कि 2020 में लॉकडाउन के चलते इसमें 20 फीसदी गिरावट आ सकती है और यह घटकर 6700 करोड़ डॉलर रह सकता है. असल में कोरोना वायरस महामारी के चलते अप्रैल के बाद से विदेशों में रहकर रोजी रोटी कमाने वाले लोखों कामगारों की घर वापसी हुई है. जिसके चलते इस साल रेमिटेंस कम रहने का अनुमान है. इस साल अप्रैल में क्रूड निचले स्तरों पर चला गया थ्सा, जिससे गल्फ कंट्रीज में नौकरियों का संकट हो गया. इससे भी भारत आने वाले रेमिटेंस पर असर हुआ. हालांकि हाल ही में रुपये में कमजोरी बढ़ने के चलते रेमिटेंस में उछाल आया है.
भारत के बाद रेमिटेंस हासिल करने में टॉप देशों में चीन (6840 करोड़ डॉलर), मेक्सिको (3850 करोड़ डॉलर), फिलिपींस (3520 करोड़ डॉलर) और इजिप्ट (2680 करोड़ डॉलर) हैं.
1.7 करोड़ में 55 फीसदी गल्फ देशों में
यूनाइटेड नेशन के अनुसार भारत से दूसरे देशों में रोजी रोटी कमाने के लिए जाने वालों में 55 फीसदी लोग गल्फ देशों में रह रहे हैं. दुनियाभर में ऐसे लोगों की संख्या 1.7 करोड़ के आस पास है, जिनमें से 55 फीसदी खाड़ी देशों में हैं. वहीं भारत में आने वाले रेमिटेंस में 54 फीसदी खाड़ी देशों से आता है.
रुपय में बढ़ेगी गिरावट
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि इस साल गिरते रेमिटेंस के बीच राहत यह है कि हाल के दिनों में इसमें उछाल देखा गया है. इसकी मुख्य वजह है रुपये में गिरावट. रुपया हाल फिलहाल में एक बार फिर 74 प्रति डॉलर के करीब ट्रेड कर रहा है. लेकिन जिस तरह से यूएस में प्रेसिडेंट इलेक्शन के चलते डॉलर इंडेक्स में मजबूती आ रही है, रुपये में कमजोरी रहेगी. घरेलू स्तर पर फेस्टिव सीजन में डिमांड उस हिसाब से नहीं रही है, जितनी उम्मीद थी. लॉकडाउन के चलते बहुत से स्माल साइज बिजनेस बंद हुए हैं. जो खुले भी हैं उनमें बिजनेस एक्टिविटी अभी सुस्त है. इन वजहों से रुपया मिड नवबंर तक 74.75 रुपये प्रति डॉलर तक कमजोर हो सकता है. आगे भी गिरावट बढ़ रही है. रुपये में कमजोरी का मतलब एक डॉलर में ज्यादा रुपया. इसलिए रेमिटेंस में उछाल दिखा है, जो आगे और बढ़ सकता है.
रेलिगेयर ब्रोकिंग की VP-मेटल, सुगंधा सचदेवा का कहना है कि यूएस में प्रेसिडेंट इलेक्शन और राहत पैकेज की आस ने डॉलर इंडेक्स को मजबूत किया है, जो कई हफ्तों के लो पर था. वहीं कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते शेयर बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है. इन वजहों से रुपये में कमजोरी आ रही है. यह शॉर्ट टर्म में 74.50 और आगे 75 प्रति डॉलर तक कमजोर हो सकता है.
डिमांड बढ़ाए जाने के उपायों की जरूरत
जो राहत पैकेज का एलान किया था या देया में फॉरेन करंसी रिजर्व है, वह अब बाजार के लिए डिस्काउंट हो चुका है. ऐसे में सरकार की ओर से एक फ्रेया राहत पैकेज का इंतजार है. जिससे डिमांड बढ़ाई जा सके. ऐसा कोई ट्रिगर न होने पर रुपये में गिरावट और बढ़ सकती है. बता दें कि रुपया अप्रैल में 77 प्रति डॉलर तक कमजोर होने के बाद बाद के महीनों में 72.50 प्रति डॉलर तक मजबूत हुआ था. लेकिन उसके बाद से फिर रुपये में गिरावट बढ़ने लगी है और यह 74 प्रति डॉलर के आस पास है.