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चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में विकास दर 5 फीसदी दर्ज की गई थी.
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Q2 GDP: अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने और ग्रोथ को रफ्तार देने की तमाम कोशिशों के बावजूद मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर तगड़ा झटका लगा है. देश की आर्थिक विकास दर (GDP) चालू वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में घटकर 4.5 फीसदी पर आ गई. यह पिछली 26 तिमाही में सबसे कम है. वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में विकास दर 5 फीसदी पर थी. वहीं, पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी दर्ज की गई थी. जीडीपी आंकड़े जारी होने से पहले बुधवार को वित्त वर्ष निर्मला सीतारमण ने राज्य सभा में देश के आर्थिक हालात पर चर्चा के दौरान कहा था कि विकास दर में गिरावट है लेकिन मंदी नहीं है.
सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) सितंबर तिमाही में घटकर 4.3 फीसदी रह गया है. पहली तिमाही में यह 4.9 फीसदी दर्ज किया गया था. जबकि एक साल पहले की दूसरी तिमाही में 6.9 फीसदी पर था. जीडीपी 2011-12 के नियत मूल्य पर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 35.99 लाख करोड़ रुपये रही. वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में यह 34.43 लाख करोड़ रुपये थी. इस तरह इसमें 4.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई.
H-1 में 4.8% की दर से बढ़ी अर्थव्यवस्था
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2019) के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 4.8 फीसदी की दर से बढ़ी है. जबकि, एक साल पहले की समान अवधि में यह रफ्तार 7.5 फीसदी थी. बता दें, रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान पहले के 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है. बता दें, विकास दर को गति देने के लिए रिजर्व बैंक इस साल ब्याज दरों में 135 बेसिस प्वाइंट यानी 1.35 फीसदी की कटौती कर चुका है. रेपो रेट 2009 के बाद से फिलहाल सबसे निचले स्तर पर है.
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लगातार छठी तिमाही में ग्रोथ रेट गिरी
सितंबर में लगातार छठी तिमाही में ग्रोथ रेट गिरी है. वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में ग्रोथ रेट 8 फीसदी, दूसरी तिमाही में 7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी पर थी. वहीं वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में जीडीपी गिरकर 5 फीसदी पर आ गई.
इंडिया रेटिंग्स, क्रिसिल समेत कई एजेंसियों ने सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था की विकास दर में गिरावट का अनुमान जताया था. रेटिंग एजेंसियों का मानना था कि, सुस्त डिमांड, निवेश में कमी और लिक्विडिटी की दिक्कत के चलते आर्थिक सुस्ती और गहरा सकती है. इंडिया रेटिंग्स और क्रिसिल ने सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया था.
Q2: मैन्युफैक्चरिंग में निगेटिव ग्रोथ
- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर: Q2FY20 में महज -1.0 फीसदी, Q2FY19 में 6.9 फीसदी
- एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट्री तथा फिशिंग सेक्टर: Q2FY20 में 2.1 फीसदी, Q2FY19 में 4.9 फीसदी
- माइनिंग सेक्टर: Q2FY20 में 0.1 फीसदी, Q2FY19 में -2.2 फीसदी
- इलेक्ट्रिसिटी, गैस, वाटर सप्लाई तथा अन्य यूटिलिटी सेक्टर: Q2FY20 में 3.6 फीसदी, Q2FY19 में 8.7 फीसदी
- कंस्ट्रक्शन सेक्टर: Q2FY20 में 3.3 फीसदी, Q2FY19 में 8.5 फीसदी
- ट्रेड, होटेल्स, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन तथा सर्विसेज: Q2FY20 में 4.8 फीसदी, Q2FY19 में 6.9 फीसदी
- फाइनेंशियल, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज: Q2FY20 में 5.8 फीसदी, Q2FY19 में 7.0 फीसदी
- पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन, डिफेंस तथा अन्य सेवाएं: Q2FY20 में 11.6 फीसदी, Q2FY19 में 8.6 फीसदी
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
जीडीपी आंकड़ों पर IDFC AMC के अर्थशास्त्री श्रीजीत बालासुब्रमण्यम का कहना है कि Q2 FY20 में 4.5 फीसदी की रीयल जीडीपी अनुमान के मुताबिक ही है, लेकिन नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ काफी कम 6.1 फीसदी पर है, Q1 FY20 में यह 8 फीसदी और Q2 FY19 में 12 फीसदी थी. मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ गिरी है, जबकि प्राइवेट कंजम्प्शन और निवेश दोनों ही कमजोर रहा है. सरकारी खर्च से कुछ सपोर्ट का अनुमान था. केंद्रीय और राज्य खर्च सालाना आधार पर दूसरी तिमाही में 22.5 फीसदी बढ़ा, जो कि पहली तिमाही में 1.3 फीसदी था.
बालासुब्रमण्यम का कहना है कि कोर सेक्टर भी अक्टूबर में सालाना आधार पर 5.8 फीसदी गिरा है. ग्रोथ में रिकवरी मुश्किल है. वी-शेप रिकवरी की फिलहाल संभव नहीं लग रही है क्योंकि उपभोक्ता डिमांड, क्रेडिट सप्लाई और जोखिम उठाने की क्षमता कमजोर बनी हुई है. कोर सीपीआई के बीच रिजर्व बैंक को ग्रोथ के मसले पर अधिक फोकस करना चाहिए.