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ब्रह्मोस लैंड-अटैक क्रूज मिसाइल (एलएसीएम) की अधिकतम गति मैक 2.8 रही थी.
चीन सीमा पर जारी तनाव के बीच भारत ने अपनी रक्षा शक्तियों में और इजाफा किया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बुधवार को स्वदेशी बूस्टर और एयरफ्रेम सेक्शन के साथ ही कई अन्य ‘मेड इन इंडिया’ उप प्रणालियों से लैस सतह से सतह तक मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का ओडिशा में आईटीआर, बालासोर से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. इसकी मारक क्षमता 400 किमी की गई है. यह स्वदेशीकरण के विस्तार की दिशा में एक अन्य महत्वपूर्ण कदम है.
ब्रह्मोस एक रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे सबमरीन, शिप, फाइटर जेट या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है. इस मिसाइल को डीआरडीओ और रूस की एनपीओएम संस्था ने मिलकर बनाया है. ब्रह्मोस लैंड-अटैक क्रूज मिसाइल (एलएसीएम) की अधिकतम गति मैक 2.8 रही थी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस शानदार मिशन के लिए डीआरडीओ के सभी कर्मचारियों और टीम ब्रह्मोस को बधाई दी. डीडी आरएंडडी सचिव और डीआरडीओ चेयरमैन डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस उपलब्धि के लिए वैज्ञानिक समुदाय और उद्योग को शुभकामनाएं दीं.
Congratulations to Team @DRDO_India and @BrahMosMissile for the successful flight testing of #BRAHMOS Supersonic Cruise Missile with Indigenous Booster and Air Frame for designated range.
This achievement will give a big boost to India’s #AtmaNirbharBharat Pledge. pic.twitter.com/39YuAcemed
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 30, 2020
आज के सफल लॉन्च से आत्म निर्भर भारत के संकल्प को साकार करते हुए शक्तिशाली ब्रह्मोस वीपन सिस्टम के लिए स्वदेशी बूस्टर और अन्य स्वदेशी कम्पोनेंट्स के श्रृंखलाबद्ध उत्पादन का रास्ता साफ हुआ है.