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देश में का चीनी उत्पादन, मौजूदा मार्केटिंग ईयर के पहले 3 महीनों में 30.22 फीसदी कम रहा है.
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देश में का चीनी उत्पादन, मौजूदा मार्केटिंग ईयर के पहले 3 महीनों में 30.22 फीसदी कम रहा है. अक्टूबर से दिसंबर के दौरान देश का चीनी उत्पादन 77.9 लाख टन रहा है. यह एक साल पहले की समान अवधि से करीब 30 फीसदी कम है. मार्केटिंग ईयर 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) की इसी अवधि में उत्पादन एक करोड़ 11.7 लाख टन था. चीन इंडस्ट्री ने यह जानकारी देते हुए कहा कि उत्पादन में गिरावट के बावजूद चीनी का मिल भाव मजबूत है और इससे मिलों को किसानों के गन्ना बकायों का भुगतान करने में असानी हो रही है.
भारतीय चीनी मिल संघ यानी इस्मा (ISMA) ने बाजार के आंकड़ों के हवाले से कहा कि हालांकि, चीनी निर्यात अच्छी गति से हो रहा है. चीनी मिलों ने अभी तक सरकार के एमएईक्यू (अधिकतम स्वीकार्य निर्यात मात्रा कोटा या ‘मैक्सिमम एडमिशेबल एक्सपोर्ट क्वांटिटी कोटा’) के तहत 25 लाख टन के करीब चीनी के निर्यात के लिए अनुबंध किया है.
चीनी की एक्स-मिल कीमतें
इस्मा ने कहा कि चीनी की एक्स-मिल कीमतें उत्तरी भारत में 3,250-3,350 रुपये प्रति क्विंटल और दक्षिण भारत में 3100-3250 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में स्थिर बनी हुई हैं. इस्मा ने एक बयान में कहा कि चूंकि केंद्र ने 2019-20 के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में बढ़ोत्तरी नहीं की है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब जैसी राज्य सरकारों ने प्रदेश परार्मिशत मूल्य (एसएपी) में बढ़ोतरी नहीं की है, इसलिए चीनी की एक्स-मिल कीमत स्थिर बनी हुई हैं. जिससे चीनी मिलें, किसानों को समय पर गन्ना मूल्य का भुगतान करने के लिहाज से बेहतर स्थिति में हैं.
उत्पादन 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान
अपने पहले अनुमान में, इस्मा ने इस वर्ष चीनी उत्पादन 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया है. वर्ष 2018-19 में उत्पादन तीन करोड़ 31.6 लाख टन था. चीनी उत्पादन का दूसरा अनुमान अगले महीने जारी किया जाएगा. देश का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन दिसंबर 2019 तक घटकर 16.5 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 44.5 लाख टन का उत्पादन हुआ था.
औसत रिकवरी घटी
बाढ़ से प्रभावित गन्ने की फसल में सुक्रोज की मात्रा कम होने से महाराष्ट्र में चीनी की औसत रिकवरी (प्राप्ति) एक साल पहले के 10.5 फीसदी से घटकर 10 फीसदी रह गई. इस्मा के अनुसार राज्य सरकार ने बताया है कि अहमदनगर और औरंगाबाद में एक-एक मिल ने गन्ने की कटाई के लिए श्रमिकों की तंगी और गन्ने की कमी के कारण पेराई बंद कर दी है. दिसंबर 2019 के अंत में कुल 137 चीनी मिलें चालू थीं, जबकि पिछले साल इस दौर में 189 मिलें चल रही थीं.
यूपी और कर्नाटक में स्थिति
चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन एक साल पहले के 31 लाख टन की तुलना में अभी तक बढ़कर 33.1 लाख टन हो गया है. यहां अभी तक लगभग 119 मिलें परिचालन में हैं और चीनी की औसत रिकवरी 10.71 फीसदी है. लगभग 18 से 20 चीनी मिलें इथेनॉल उत्पादन के लिए ''बी'' हैवी मोलेसेज शीरे को स्थानांतरित कर रही हैं. देश के तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य कर्नाटक में चीनी उत्पादन भारी गिरावट के साथ 16.3 लाख टन रह गया जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में 21 लाख टन था.
आंकड़ों से पता लगता है कि दिसंबर 2019 तक गुजरात में चीनी उत्पादन 2,65,000 टन, बिहार में 2,33,000 टन, पंजाब 1,60,000 टन, हरियाणा 1,35,000 टन, उत्तराखंड 1,06,000 टन, मध्य प्रदेश 1,00,000 टन, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना 96,000 टन और तमिलनाडु में 95,000 टन तक पहुंच गया है.