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22 मार्च 2019 से रेलवे की सामान्य यात्री सेवाएं बंद चल रही हैं.
कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में कारोबार प्रभावित हुआ. इसके अलावा लॉकडाउन के कारण न सिर्फ कारोबार बल्कि कहीं आना-जाना भी प्रभावित हुआ है. भारत में भी पिछले साल मार्च 2019 में देश भर में लॉकडाउन लगाया गया था और लॉकडाउन के दौरान रेलवे की सेवाएं भी बंद कर दी गई थीं जो आज तक सामान्य रूप से बहाल नहीं हुई हैं. पिछले साल 22 मार्च को रेलवे की सेवाएं बंद की गई थी और उसके बाद से अभी तक रेलवे यात्रियों के लिए स्पेशल ट्रेनें ही चला रहा है. इसे लेकर फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन (हिंदी) ने एक सर्वे किया जिसमें 37.9 फीसदी लोगों का मानना था कि अब ट्रेनों का संचालन सामान्य किया जाना चाहिए.
सर्वे में रीडर्स से पूछा गया था कि क्या रेलवे के लिए कोरोला काल के पहले की तरह ट्रेनों के सामान्य संचालन का यह सही वक्त है? जवाब के लिए उन्हें चार विकल्प दिए गए थे, 'हां, जरूरत है', 'नहीं', 'ट्रेनें धीरे-धीरे बढ़ें' और 'केवल रिजर्वेशन वाली ट्रेन'.
करीब 38% लोगों बताया सही समय
सर्वे में रीडर्स से पूछा गया कि क्या यह रेलवे के सामान्य संचालन का सही वक्त है तो 37.9 फीसदी लोगों ने कहा कि बिल्कुल चलाना चाहिए और यह इस समय की जरूरत भी है. इतने ही लोगों यानी 37.9 फीसदी लोगों का मानना है कि रेलवे का संचालन बढ़ना चाहिए लेकिन उनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ाई जानी चाहिए.
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13.8% लोग सिर्फ रिजर्वेशन वाली ट्रेन के पक्ष में
सर्वे में पाया गया कि 13.8 फीसदी लोग सिर्फ रिजर्वेशन वाली ट्रेन ही चलाए जाने के पक्ष में हैं. रिजर्वेशन वाली ट्रेन चलाए जाने से रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में भीड़-भाड़ को नियंत्रित किया जाना आसान होगा. रेलवे रिजर्वेशन ट्रेन के अलावा सामान्य बोगी वाली ट्रेन भी चलाती है. इसके अलावा रिजर्वेशन वाली ट्रेन में भी सामान्य बोगी होती है जिनमें कोरोना महामारी के कारण रिजर्वेशन शुरू कर दिया गया था और अभी तक यह व्यवस्था जारी है.
सर्वे में 10.3 फीसदी लोगों ने कहा कि ट्रेने चलाए जाने का अभी सही समय नहीं है. इस समय कोरोना महामारी के नए स्ट्रेन आने से लोगों के बीच संक्रमण फैलने का डर बना हुआ है. ऐसे में सामान्य रूप से ट्रेनों का संचालन शुरू किए जाने पर भीड़-भाड़ बढ़ेगी और संक्रमण फिर बढ़ सकता है.