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रेलवे ने बड़ी संख्या में ट्रेन के डिब्बो में एलईडी लाइटें लगाई हैं.
रेलवे ने लंबी दूरी के सफर को सुगम बनाने और पैसेंजर के लिए सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ बिजली की खपत को घटाने के लिए ट्रेन के डिब्बों में बड़ी संख्या में एलईडी लाइटें लगाई हैं. रेल मंत्रालय के मुताबिक 65 हजार डिब्बों में एलईडी लाइटें लगाई जा चुकी हैं. इस बदलाव से बिजली की खपत में काफी कमी आई है. रेल मंत्रालय का दावा है कि इससे सालाना 6.5 करोड़ किलोवॉट प्रति घंटा (Kwh) यूनिट बिजली की बचत होगी. कीमत के लिहाज से देखा जाए तो हर साल लगभग 40 करोड़ रुपये की बचत की जा सकेगी. इसके कारण पर्यावरण पर भी पॉजिटिव असर पड़ेगा. एनवायर्नमेंट में कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) कम घुलेगी. मंत्रालय के मुताबिक इससे साल में 4920 टन CO2 का उत्सर्जन का कम होगा.
भारत में है दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे सेवा
रेलवे ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि ऑपरेशनल एफिशिएन्सी में लगातार सुधार जारी है. ट्रेन की स्पीड में वृद्धि और उसकी क्षमता में बढ़ोतरी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार सुधार किया जा रहा है. इसके लिए रेलवे ट्रैक का रिनुअल किया जा रहा है. रेलवे सेवा के मामले में भारत का दुनिया में चौथा स्थान है. 31 मार्च 2022 तक नेशनल रेलवे सिस्टम के लिए कुल रेल मार्ग की लंबाई 67,956 किमी है. वित्त वर्ष 2019-20 में, रेलवे ने 808.6 करोड़ (8086 मिलियन) पैसेंजर को सफर कराया है. पूरे देश में रोजाना 13,169 पैसेंजर ट्रेनें चलती हैं. शहरों और गावों से होकर गुजरने वाली ट्रेनों के लिए देश के ग्रामीण व शहरी इलाकों में कुल 7,325 स्टेशन हैं.
नौकरी देने के मामले में दुनिया में है आठवां स्थान
मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें 50.6 किमी प्रति घंटे की औसत स्पीड से पटरियों पर चलती हैं. छोटे शहरों में 37.5 किमी प्रति घंटे की औसत स्पीड से EMU ट्रेनें चलाई जाती हैं. ज्यादातर पैसेंजर ट्रेन 33.5 किमी प्रति घंटा की औसत रफ्तार से चलती हैं. हालांकि इन ट्रेनों की अधिकतम स्पीड अलग-अलग होती हैं. वंदे भारत एक्सप्रेस 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैक पर चलती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में रेलवे की इंलेक्ट्रिक और डीजल इंजनों के निर्माण कार्य के लिए लोकोमोटिव और कोच-प्रोडक्शन के लिए शाखाएं बनाई गई हैं. मार्च 2020 तक, रेलवे में 12.54 लाख कर्मचारी कार्यरत थे. यह दुनिया का आठवां सबसे बड़ा नौकरी देने वाला संस्था है. केन्द्र सरकार 2023-24 तक भारत के पूरे रेल नेटवर्क का विद्युतीकरण करना चाहती है. सरकार चाहती है 2030 तक रेलवे जीरो कार्बन उत्सर्जन करने वाली संस्था बन जाए.
(Article : Anurag Kumar)