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ISRO की इतिहास रचने को कोशिशों को झटका, पहला एसएसएलवी को टर्मिनल स्टेज में हुआ डेटा लॉस

आज इतिहास रचने को कोशिशो में इसरो को उस समय झटका लगा, जब उसके पहले स्माल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) को टर्मिनल चरण में डेटा लॉस का शिकार होना पड़ा.

आज इतिहास रचने को कोशिशो में इसरो को उस समय झटका लगा, जब उसके पहले स्माल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) को टर्मिनल चरण में डेटा लॉस का शिकार होना पड़ा.

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FE Hindi Desk
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Indian space agency ISRO faces setback as maiden SSLV mission suffers data loss at terminal stage

आज 7 अगस्त को इतिहास रचने को कोशिशो में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को उस समय झटका लगा, जब उसके पहले स्माल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) को टर्मिनल चरण में डेटा लॉस का शिकार होना पड़ा. हालांकि बाकी के तीन चरणों में उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन रहा. इसरो अब डेटा लॉस के पीछे की वजह का पता लगाने के लिए आंकड़ों को एनालाइज कर रही है.
यह पहली बार नहीं है जब इसरो को अपने पहले प्रक्षेपण अभियान में झटका लगा है. अंतरिक्ष एजेंसी के लिए सबसे भरोसेमंद माने वाले जाने प्रक्षेपण यान पीएसएलवी की 20 सितंबर 1993 को पहली उड़ान सफल नहीं रही थी. इसरो ने आज पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV), जियोस्टैटिकल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) के जरिए सफल अभियानों के बाद आज पहली बार एसएसएलवी के जरिए प्रक्षेपण किया था जिसका उपयोग पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए किया जाएगा.

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सुबह भरी थी उड़ान

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SSLV-D1/EOS 02 के जरिए पृथ्वी पर निगरानी के लिए एक सैटेलाइट और एक स्टूडेंट सैटेलाइट 'आजादीसैट' भेजा जा रहा था. इसने रविवार सुबह आसमान में बादल छाए रहने के बीच सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से नौ बजकर 18 मिनट पर उड़ान भरी. 34 मीटर लंबे रॉकेट ने रविवार को करीब साढ़े सात घंटे तक चली उलटी गिनती के बाद उड़ान भरी. इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने जानकारी दी कि शुरुआती तीन चरण अनुरूप के मुताबिक रहे लेकिन टर्मिनल फेज में डेटा लॉस हो गया और अब इसरो डेटा एनालाइज कर रही है जिसके बाद सैटेलाइट रऔर व्हीकल के परफॉर्मेंस की स्थिति का पता चलेगा. उन्होंने कहा कि जल्द ही पूरी जानकाारी साझा की जाएगी. अभी मिशन की सफलता पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गयी है क्योंकि वैज्ञानिक रॉकेट के आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं.

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इस लक्ष्य के साथ किया था प्रक्षेपण

इसरो ने आज अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट EOS-02 और स्टूडेंट्स सैटेलाइट AzaadiSAT का प्रक्षेपण किया था. EOS-02 का निर्माण इन्फ्रा-रेड बैंड में हाई रिजॉल्यूशन ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपलब्ध कराने के लिए किया गया है. वहीं ‘आजादीसैट’ में 75 अलग-अलग पेलोड्स हैं जिनमें से हर का वजन 50 ग्राम है और इसका कुल वजन 5 किग्रा है. इन पेलोड्स को बनाने के लिए देश भर के गांवों की छात्राओं को इसरो ने मार्गदर्शन उपलब्ध कराया था जो 'स्पेस किड्स इंडिया' की छात्र टीम के तहत काम कर रही हैं. ‘स्पेस किड्स इंडिया’ द्वारा विकसित ग्राउंड सिस्टम का इस्तेमाल इस उपग्रह से डेटा प्राप्त करने के लिए किया जाएगा.
(इनपुट: पीटीआई)

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