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नारायणमू​र्ति बेंगलुरु में ‘‘भारत की डिजिटल क्रांति का नेतृत्व’’ विषय पर आयोजित एक परिचर्चा में भाग ले रहे थे. Image: Reutersइन्फोसिस के संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति ने मंगलवार को आशंका जताई कि कोरोना वायरस के चलते इस वित्त वर्ष में देश की आर्थिक गति आजादी के बाद सबसे खराब स्थिति में होगी. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को जल्द से जल्द पटरी पर लाया जाना चाहिए. उन्होंने आशंका जताई कि इस बार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में स्वतंत्रता के बाद की सबसे बड़ी गिरावट दिख सकती है. नारायणमू​र्ति बेंगलुरु में ‘‘भारत की डिजिटल क्रांति का नेतृत्व’’ विषय पर आयोजित एक परिचर्चा में भाग ले रहे थे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई यह परिचर्चा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के ‘इंडिया डिजिटल कन्वर्सेशन के 16वें संस्करण के तहत आयोजित की गई थी.
नारायणमूर्ति ने ऐसी एक नई प्रणाली विकसित करने पर भी जोर दिया, जिसमें देश की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में प्रत्येक कारोबारी को पूरी क्षमता के साथ काम करने की अनुमति हो. मूर्ति ने कहा, ‘‘भारत की जीडीपी में कम से कम पांच फीसदी गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसी आशंका है कि हम 1947 की आजादी के बाद की सबसे बुरी जीडीपी वृद्धि (गिरावट) देख सकते हैं.’’
वैश्विक जीडीपी में 5 से 10% तक गिरावट का अनुमान
नारायणमूर्ति ने कहा, ‘‘वैश्विक जीडीपी नीचे गई है. वैश्विक व्यापार डूब रहा है, वैश्विक यात्रा करीब करीब नदारद हो चुकी है. ऐसे में वैश्विक जीडीपी में पांच से 10 फीसदी तक गिरावट होने का अनुमान है.’’ मूर्ति ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगने के पहले दिन से ही उनका यही विचार रहा है कि लोगों को कोरोना वायरस के साथ ही जीवन जीने के लिये तैयार होना होगा. इसके लिये तीन वजह हैं- पहली इसकी कोई दवा नहीं है, दूसरी कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है और तीसरी अर्थव्यवस्था को रोका नहीं जा सकता है. इस महामारी की सबसे पहली संभावित वैक्सीन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से आने की उम्मीद है. यह वैक्सीन देश में छह से नौ माह के भीतर ही उपलब्ध हो पाएगी.
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एक नई सामान्य स्थिति को किया जाए परिभाषित
मूर्ति ने कहा, ‘‘यदि हम प्रतिदिन एक करोड़ लोगों को भी टीका लगाते हैं, तब भी सभी भारतीयों को टीका लगाने में 140 दिन लग जायेंगे. यह इस बीमारी को फैलने से रोकने में लंबी अवधि है. ऐसी स्थिति में हम अर्थव्यवस्था को बंद नहीं कर सकते हैं. कुल मिलाकर 14 करोड़ कर्मचारी इस वायरस से प्रभावित हो चुके हैं. इसलिये समझदारी इसी में है कि एक नई सामान्य स्थिति को परिभाषित किया जाए. यह स्थिति पृथ्वी पर आगे बढ़ते हुये और वायरस से लड़ते हुये अर्थव्यवस्था को वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ाने वाली होनी चाहिए.’’
नारायण मूर्ति ने मौजूदा स्थिति से निपटने के लिये एक नई प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि वैक्सीन तैयार हो जाने की स्थिति में हर व्यक्ति को वैक्सीन लगाने के लिये स्वास्थ्य ढांचा खड़ा किया जाना चाहिए. इसके साथ ही नये वायरस की इलाज की दिशा में भी काम होना चाहिए.
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