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COVID19 Impact: कोरोना वायरस संक्रमण और इसकी रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर कई दशक के निचले स्तर 1.6 फीसदी पर आ सकती है. गोल्डमैन सैक्स ने यह अनुमान व्यक्त किया है. कोरोना वायरस संकट से पहले भी नरमी के चलते वित्त वर्ष 2019-20 में देश की आर्थिक वृद्धि दर के घट कर पांच फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था.
महामारी के बाद आर्थिक हालत और बिगड़ी ही है. कई विश्लेषक कोरोना वायरस को देखते हुए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटा रहे हैं. कुछ विश्लेषकों ने तो पहली तिमाही में जीडीपी में गिरावट तक की संभावना व्यक्त की है.
भारत ने नहीं अपनाया है आक्रामक रुख
गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत सरकार ने अभी तक इस संकट को लेकर आक्रामक रवैया नहीं दिखाया है. प्रयासों को तेज करने की जरूरत है. अर्थशास्त्रियों ने कहा, ‘‘अभी तक की आर्थिक सहायता और आने वाले समय में इसे बढ़ाए जाने के अनुमान के साथ हमारा मानना है कि लॉकडाउन व लोगों की घबराहट के कारण मार्च व अगली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट आने के अनुमान है.’’
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पहले था 3.3% ग्रोथ रेट का अनुमान
गोल्डमैन ने इससे पहले 22 मार्च के अनुमान में कहा था कि 2020-21 में भरत की वृद्धि दर 3.3 फीसदी रह सकती है. अब उसने इसे घटाकर 1.6 फीसदी कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार इस बार हालात 1970 तथा 1980 के दशक के और 2009 के झटकों से भी गहरे हो सकते हैं.