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भारत सरकार ने माना, स्वास्थ्य पर हमारा खर्च BRICS के सभी देशों में सबसे कम, तकनीक के इस्तेमाल से सुधार की उम्मीद

आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने वित्त मंत्रालय और न्यू डेवलपमेंट बैंक द्वारा आयोजित वर्चुअल सेमिनार में खुलकर रखी अपनी बात

आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने वित्त मंत्रालय और न्यू डेवलपमेंट बैंक द्वारा आयोजित वर्चुअल सेमिनार में खुलकर रखी अपनी बात

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PTI
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भारत सरकार ने माना, स्वास्थ्य पर हमारा खर्च BRICS के सभी देशों में सबसे कम, तकनीक के इस्तेमाल से सुधार की उम्मीद

DEA सेक्रेटरी अजय सेठ के मुताबिक विकास का लक्ष्य हासिल करने की कोशिशों को कोरोना महामारी से बड़ा धक्का लगा है.

Public Spending on Healthcare: कोरोना की दूसरी लहर से जूझते देश में स्वास्थ्य पर होने वाला सरकारी खर्च BRICS के सभी सदस्य देशों में सबसे कम है. यह कोई विपक्ष का आरोप नहीं, खुद भारत सरकार ने इस सच्चाई को बड़ी साफगोई से स्वीकार किया है. समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के सचिव अजय सेठ ने गुरुवार को वित्त मंत्रालय और न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक वर्चुअल सेमिनार में यह बात कही. वर्चुअल सेमिनार में दिए अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने यह भी कहा कि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं तक आम लोगों की पहुंच को बढ़ाने में टेक्नॉलजी एक अहम रोल निभा सकती है.

सेमिनार में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए अजय सेठ ने कहा कि स्थायी विकास के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिशों को कोरोना महामारी की वजह से बड़ा धक्का लगा है. उन्होंने कहा कि संसाधन तो हमेशा ही सीमित होते हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि हमारा फोकस किस बात पर है? ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फायदा पहुंचाने पर या क्वॉलिटी पर? औसत उम्र की बात हो या स्वास्थ्य और शिक्षा पर किए जाने वाले सरकारी खर्च की, अलग-अलग देशों में इनकी स्थिति में भारी अंतर है.

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अजय सेठ ने कहा कि शिक्षा की बात करें तो BRICS के तीन सदस्य देशों में इस पर होने वाला खर्च जीडीपी के 4 से 4.5 फीसदी के बीच है, जबकि दो देश - ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका, इस पर जीडीपी का करीब 6 फीसदी खर्च करते हैं. अब अगर स्वास्थ्य की बात करें, तो इस मामले में भी भारत का सरकारी खर्च BRICS देशों में सबसे कम है. इन हालात में हमें स्वास्थ्य सुविधाओं की डिलीवरी और फाइनेंसिंग के मामले में काफी बारीकी से सोच-समझकर चलना होगा.

सेठ ने कहा कि यहां पर टेक्नॉलजी के इस्तेमाल से हमें स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी में मदद मिल सकती है. मिसाल के तौर पर टेलीमेडिसिन और डायग्नोस्टिक इंटरप्रेटेशन यानी जांच के विश्लेषण जैसे क्षेत्रों में तकनीक बड़ी भूमिका निभा सकती है. लेकिन तकनीक का इस्तेमाल इस तरह से होना चाहिए, जिससे डिजिटल डिवाइड और बढ़े नहीं, बल्कि गरीबों को सबसे पहले सुविधाएं मिल सकें. सेठ ने कहा कि हमें ऐसी तकनीक विकसित करनी है, जिसका लाभ समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को सबसे पहले मिल सके.

BRICS दुनिया के पांच प्रमुख देशों का ग्रुप है, जिसमें भारत के अलावा ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. दुनिया की लगभग 42 फीसदी आबादी इन्हीं पांच देशों में रहती है. इतना ही नहीं, दुनिया की 23 फीसदी जीडीपी, 30 फीसदी भौगोलिक क्षेत्र और करीब 18 फीसदी व्यापार भी इन पांच देशों के दायरे में सिमटा हुआ है.

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