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भारत में अगले 5 साल में 63% बढ़ेगी 'अति धनवानों' की तादाद; मुंबई,​ दिल्ली, बेंगलुरु पसंदीदा ठिकाना: रिपोर्ट

नाइट फ्रेंक की द वेल्थ रिपोर्ट 2021 के अनुसार, 2025 तक भारत में अरबपतियों की संख्या भी बढ़कर 162 हो सकती है, जोकि अभी 113 है.

नाइट फ्रेंक की द वेल्थ रिपोर्ट 2021 के अनुसार, 2025 तक भारत में अरबपतियों की संख्या भी बढ़कर 162 हो सकती है, जोकि अभी 113 है.

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Ashutosh Ojha
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3 करोड़ डॉलर या उससे अधिक संपत्ति वाले लोग अति धनाढ्यों की सूची में आते हैं.

Knight Frank Wealth Report 2021: भारत में बेहद अमीरों (अल्ट्रा हाई नेट वर्थ इंडिविजुल्स/UHNWI) की संख्या 2025 तक 63 फीसदी बढ़कर 11,198 हो सकती है. इस मामले में भारत दुनिया भर में तेजी से बढ़ने वाला दूसरा देश होगा. एशिया में सबसे तेजी से अति धनवानों की संख्या में इजाफा होगा. वहीं, दुनिया भर के UHNWI की संख्या 2020-25 के बीच 27 फीसदी बढ़कर 663,483 होने की उम्मीद है. प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी फर्म नाइट फ्रैंक की वेल्थ रिपोर्ट 2021 में यह खुलासा हुआ है. 3 करोड़ डॉलर या उससे अधिक संपत्ति वाले लोग अति धनाढ्यों की सूची में आते हैं.

नाइट फ्रैंक की 'द वेल्थ रिपोर्ट 2021' के मुताबिक दुनिया भर में फिलहाल 521,653 UHNWI हैं. इनमें से भारत के 6,884 अमीर शामिल हैं. एशिया में UHNWI की संख्या में 39 फीसदी वृद्धि का अनुमान है. इस अवधि के दौरान सबसे ज्यादा अमीर लोगों की संख्या में बढ़ोतरी इंडोनेशिया (67 फीसदी) और उसके बाद भारत (63 फीसदी) में होगी, जो वैश्विक औसत के मुकाबले कहीं अधिक होगा. भारत में बेहद अमीर लोगों की संख्या इंडोनेशिया के कुल धनवानों की संख्या से 10 गुणा अधिक होगी.

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नाइट फ्रैंक इंडिया के सीएमडी शिशिर बैजल का कहना है, महामारी के बाद आर्थिक गतिविधियां नए स्‍तर पर जा रही हैं, ऐसे में भारत अगले कुछ सालों के दौरान पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले क्लब में अपनी जगह बना सकता है. भारत अपनी आर्थिक तरक्की के दम पर एशियाई सुपरपावर बन सकता है और इससे भारत में तेजी से विकसित होने वाले सेक्टर्स के लिए व्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी. नए आर्थिक अवसरों की मदद से संपत्ति निर्माण के आकर्षक मौके मिलेंगे जिसकी सहायता से भारत में अमीरों के क्लब में नए लोगों का प्रवेश होगा.

इन देशों में तेजी से बढ़ेंगे अति धनवान

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मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु पसंदीदा शहर

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में शहर के आधार पर देखा जाए तो मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरू क्रमश: 920, 375 और 238 बेहद अमीर का लोगों का घर होगा. द वेल्थ रिपोर्ट एटीट्यूड्स सर्वे में शामिल 91 फीसदी भारत के अति धनवानों की संपत्ति 2021 में बढ़ सकती है. भारत में धनवानों की तादाद बढ़ोतरी की रफ्तार वैश्विक औसत 27 फीसदी और एशियाई औसत 39 फीसदी से अधिक है.

अरबपतियों की संख्या भी बढ़ेगी

नाइट फ्रेंक की 'द वेल्थ रिपोर्ट 2021' बताती है कि भारत में अरबपतियों की संख्या में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में मौजूद 113 अरबपतियों की संख्या के 2025 में 43 फीसदी बढ़कर 162 होने का अनुमान है. अरबपतियों की संख्या में होने वाली यह बढ़ोतरी वैश्विक औसत 24 फीसदी और एशियाई औसत 38 फीसदी से अधिक है.

अति धनवानों में भारत 13वें नंबर पर

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भारत में डबल होगी '1% क्लब' की थ्रेसहोल्ड लिमिट

रिपोर्ट में चुनिंदा देशों और क्षेत्रों में सर्वाधिक अमीर एक फीसदी वाले लोगों के क्लब में शामिल होने की जरूरतों का अध्ययन किया गया. इसके मुताबिक, इस क्लब में शामिल होने के लिए जरूरी नेट वेल्थ की थ्रेशहोल्‍ड अलग-अलग देशों एवं क्षेत्रों में भिन्‍न है. सबसे अधिक अति धनवानों के निवास स्थल मोनैको में जहां शीर्ष 1% क्लब में जगह बनाने के लिए 79 लाख डॉलर की संपत्ति आवश्यक है, वहीं स्विट्जरलैंड में यह लिमिट 51 लाख अमेरिकी डॉलर है. अमेरिका में यह थ्रेसहोल्ड 44 लाख डॉलर है.

रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई क्षेत्रों में देखा जाए तो सिंगापुर में यह सबसे अधिक है. जहां शीर्ष एक फीसदी धनवानों के क्लब में शामिल होने के लिए आपके पास 29 लाख डॉलर की रकम होनी चाहिए. भारत में इस क्लब में प्रवेश के लिए 60,000 डॉलर की रकम होना चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले पांच वर्षों में भारत की यह थ्रेसहोल्ड लिमिट दोगुनी हो सकती है.

चीन में 246% बढ़ेंगे अति धनवान

नाइट फ्रैंक रिसर्च में ग्लोबल हेड लियाम बैले कहते हैं, एशिया सबसे अहम है. अमेरिका और बाकी स्थान हमारे अनुमान के मुताबिक दुनिया के शीर्ष वेल्थ हब के रूप में बने रहेंगे लेकिन अगले पांच वर्षों के दौरान एशिया में अति धनवानों की तादाद में वैश्विक औसत 27 फीसदी के मुकाबले 39 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. चीन की भूमिका होगी और यहां 2025 तक अति धनवानों की संख्या 246 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है. बैले का कहना है, वर्ष 2025 तक एशिया में दुनिया के अति धनवान लोगों की कुल संख्या के मुकाबले 24 फीसदी होंगे, जोकि एक दशक पहले के मुकाबले 17 फीसदी अधिक है. यह क्षेत्र पहले से ही अधिक संख्या में अरबपतियों का क्षेत्र है. यह कुल वैश्विक संख्या का 36 फीसदी है.