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S&P; ग्लोबल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मार्च में घटकर 54.0 पर आ गया. (image: pixabay)
Manufacturing PMI in India: देश में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में गिरावट आई है. S&P ग्लोबल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मार्च में घटकर 54.0 पर आ गया, जो फरवरी में 54.9 था. PMI आंकड़े मार्च में भी 50 के ऊपर हैं यानी कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विस्तार हुआ है. लेकिन यह ग्रोथ फरवरी की तुलना में कम रही है. S&P ग्लोबल की रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई 5 महीनों के हाई लेवल पर है. जिससे चिंता बनी हुई है. महंगाई में और इजाफा होता है तो डिमांड कमजोर हो सकती है. जिससे मैन्युुैक्चरिंग सेक्टर पर असर होगा.
बता दें कि मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अगर 50 से ऊपर रहता है इसका मतलब है कि गतिविधियों में विस्तार बना हुआ है. जबकि इसके 50 से नीचे रहने पर ये कमजोरी का संकेत है.
निर्यात ऑर्डर मार्च में कमजोर हुए
S&P ग्लोबल का कहना है कि माल उत्पादकों ने संकेत दिया कि मार्च में नए ऑर्डर में बढ़ोतरी जारी रही. लेकिन बढ़ोतरी की दर 6 महीने के निचले स्तर पर आ गई. बाहरी मोर्चे पर भारतीय मैन्युफैक्चरर द्वारा प्राप्त नए निर्यात ऑर्डर मार्च में कमजोर हुए, जिससे इन ऑर्डर में लगातार 8 महीनों की ग्रोथ पर ब्रेक लग गया. नए निर्यात ऑर्डर 9 महीनों में पहली बार गिरे, हालांकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार की स्थिति खराब नहीं हुई है. रोजगार का मौजूदा स्तर आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त था.
इनपुट कास्ट में एक और बढ़ोतरी
S&P ग्लोबल के इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पोलियाना डी लीमा का कहना है कि वित्त वर्ष 2021/22 के अंत में भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ कमजोर हुई. कंपनियों ने नए ऑर्डर और प्रोडक्शन में नरमी की रिपोर्ट दी. मैन्युफैक्चरर ने वित्त वर्ष 2021/22 के अंत में इनपुट कास्ट में एक और बढ़ोतरी दर्ज की. केमिकल्स, एनर्जी, कपड़े, खाद्य पदार्थों और मेटल की लागत फरवरी की तुलना में कथित तौर पर अधिक थी. माल उत्पादकों ने केमिकल्स, एनर्जी, कपड़े, खाद्य पदार्थों और मेटल के लिए उच्च कीमतों का भुगतान करने का संकेत दिया है.
महंगाई को लेकर चिंता
S&P Global की इस रिपोर्ट के मुताबिक चिंता कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर है. महंगाई 5 महीनों के उच्च स्तर पर है और बढ़ती उत्पादन लागत का भार ग्राहकों पर जाता दिख रहा है. फिलहाल अभी डिमांड इस महंगाई को सहने के लिए पर्याप्त मजबूत है. लेकिन अगर महंगाई इसी दर से बढ़ती रही तो हमें आगे डिमांड पर दबाव देखने को मिल सकता है.