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इंफ्रा सेक्टर में सबसे ज्यादा कैपेक्स, बिजली और सड़क पर खूब खर्च कर रहे हैं राज्य - RBI Article

आरबीआई के लेख के मुताबिक परियोजनाओं के पूंजीगत व्यय के मामले में इंफ्रासेक्टनर सेक्ट र का पलड़ा भारी रहा है. जिसमें बिजली और सड़क एवं पुलों के निर्माण का दबदबा रहा.

आरबीआई के लेख के मुताबिक परियोजनाओं के पूंजीगत व्यय के मामले में इंफ्रासेक्टनर सेक्ट र का पलड़ा भारी रहा है. जिसमें बिजली और सड़क एवं पुलों के निर्माण का दबदबा रहा.

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FE Hindi Desk
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इंफ्रा सेक्टर में सबसे ज्यादा कैपेक्स, बिजली और सड़क पर खूब खर्च कर रहे हैं राज्य - RBI Article

यह लगातार दूसरा वित्त वर्ष है जब कुल स्वीकृत परियोजना लागत में राजस्थान पहले नंबर पर रहा.

RBI Report: वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों की तरफ से परियोजनाओं के लिए स्वीकृत लोन में सबसे अधिक हिस्सा राजस्थान का रहा है. यह लगातार दूसरा वित्त वर्ष है जब कुल स्वीकृत परियोजना लागत के मामले में राजस्थान पहले नंबर पर रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. इसके मुताबिक, परियोजनाओं के लिए स्वीकृत राशि के मामले में राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का स्थान रहा है.

पूंजीगत व्यय: इंफ्रा सेक्टर का पलड़ा भारी

आरबीआई के लेख के मुताबिक परियोजनाओं के पूंजीगत व्यय के मामले में इंफ्रासेक्टर सेक्टर का पलड़ा भारी रहा जिसमें बिजली और सड़क एवं पुलों के निर्माण का दबदबा रहा. सरकार की तरफ से उठाए गए कई अनुकूल नीतिगत कदमों से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश तेजी से बढ़ा है. वित्त वर्ष 2021-22 में निजी कंपनियों की कुल पूंजीगत व्यय योजना एक साल पहले की तुलना में 13.5 फीसदी बढ़ गई. इस बढ़ोतरी का बड़ा हिस्सा बाह्य वाणिज्यिक कर्ज के जरिये जुटाया गया. इस मार्ग से जुटाई जाने वाली राशि वर्ष 2021-22 में एक साल पहले की तुलना में 73.4 फीसदी बढ़कर 64,178 करोड़ रुपये हो गई. वित्त वर्ष 2021-22 में निवेश के लिए प्रस्तावित कुल पूंजीगत व्यय में से एक-तिहाई से भी अधिक राशि चालू वित्त वर्ष में खर्च की जाएगी.

56.4 फीसदी हिस्से पर 5 राज्यों का कब्जा

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आरबीआई के लेख में कहा गया है कि कुल स्वीकृत परियोजना लागत के 56.4 फीसदी हिस्से पर 5 राज्यों राजस्थाकन, यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का सम्मिलित कब्जा रहा है. यह लगातार दूसरा वित्त वर्ष है जब इन 5 राज्यों की हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक रही; इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 से लेकर 2019-20 के दौरान राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की परियोजनाओं के लिए बैंकों द्वारा स्वीकृत कर्जों में कुल हिस्सेदारी औसतन 40.7 फीसदी रही थी.

निवेश में और बढ़ोतरी की संभावना

आरबीआई के इस लेख में निजी कंपनियों की तरफ से परियोजनाओं के लिए जताई गई फेजवाइज निवेश की मंशा को आधार बनाया गया है. इसके आधार पर पिछले वित्त वर्ष में निवेश वृद्धि के साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए बढ़ोतरी की संभावना भी जताई गई है.

नई निवेश परियोजनाओं की घोषणा

इसमें कहा गया है कि महामारी काल में लगे झटके के बाद वित्तं वर्ष 2021-22 के दौरान नई निवेश परियोजनाओं की घोषणाओं में काफी बढ़ोतरी हुई, परियोजना की कुल लागत में 2020-21 की तुलना में लगभग 90 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. लेकिन यह अभी भी पूर्व-महामारी स्तर से नीचे है. रिजर्व बैंक ने यह साफ किया है कि इस लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह अनिवार्य रूप से उसकी राय नहीं दर्शाते हैं.

(Input: PTI)

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