/financial-express-hindi/media/post_banners/AWL3HoSn8F25WOaNeoBO.jpg)
भारतीय नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल एस एम घोरमडे. (Photo source: ANI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत (Aircraft Career INS Vikrant) को नौसेना के हवाले करेंगे. नौसेना में विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के शामिल होने से देश की समुद्री क्षमता मजबूत होगी. नौसेना ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 2 सितंबर को INS Vikrant सेना में शामिल हो जाएगा.
गुरुवार को भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे (Vice Admiral SN Ghormade) ने कहा कि आईएनएस विक्रांत के शामिल होने से हिंद महासागर समेत पूरे इंडो पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि कोच्चि में आयोजित एक कार्यक्रम में आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल किया जाएगा.
आईएनएस विक्रांत को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया जा रहा है क्योंकि इसे बनाने में इस्तेमाल की गई चीजें देश के अलग-अलग हिस्सों से लाई गई हैं. आईएनएस विक्रांत को बनाने में लगभग 20,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. पिछले महीने इस विमान वाहक पोत के चौथे और अंतिम चरण के समुद्री ट्रायल को भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है.
विमानवाहक पोत 'विक्रांत' के बनकर तैयार होने के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की कतार में शामिल हो गया है जिनके पास स्वदेशी विमानवाहक पोत को डिजाइन करने और उसका निर्माण करने की क्षमता है. लगभग 1700 नौसैनिकों की टीम के लिए डिजाइन किए गए इस स्वदेशी विमानवाहक पोत में 2,300 से अधिक कंपार्टमेंट हैं. आईएनएस विक्रांत में नौसेना की महिला अफसरों के लिए खास केबिन भी बनाए गए हैं.
देश में बने इस विमानवाहक पोत की लंबाई 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है. पोत की ऊंचाई 59 मीटर है. नौसेना के मुताबिक विक्रांत में 88 मेगावाट के कुल चार गैस टर्बाइन लगाए गए हैं और यह एक घंटे में अधिकतम 28 समुद्री मील की रफ्तार से चल सकता है. यह पोत एक बार में लगातार 7500 समुद्री मील का सफर तय करने की क्षमता रखता है.
आईएनएस विक्रांत के निर्माण का प्रोजेक्ट तीन चरणों में पूरा किया गया है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच मई 2007 में कॉन्टैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए थे, जबकि जहाज के सबसे निचले हिस्से (Keel) के निर्माण का काम फरवरी 2009 में शुरू हुआ था.