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गगनयान से लेकर चंद्रयान-3 तक, ISRO ने तैयार किया 2020 का पूरा प्लान

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने नए साल यानी 2020 के लिए अपना पूरा प्लान तैयार कर लिया है.

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने नए साल यानी 2020 के लिए अपना पूरा प्लान तैयार कर लिया है.

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इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने नए साल यानी 2020 के लिए अपना पूरा प्लान तैयार कर लिया है.

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ISRO Plan For Chandrayaan-3 & Gaganyaan In 2020: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने नए साल यानी 2020 के लिए अपना पूरा प्लान तैयार कर लिया है. इस बारे में इसरो के चीफ के सिवन ने अपने लक्ष्य और योजनाओं के बारे में जानकारी दी. इसरो ने बुधवार को ऐलान किया कि देश के तीसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 पर काम चल रहा है और प्रक्षेपण अगले साल तक के लिए टल सकता है. वहीं इसरो ने कहा कि महत्वाकांक्षी ‘गगनयान’ मिशन के लिए अंतरिक्षयात्रियों को प्रशिक्षण देने की शुरुआत रूस में जनवरी के तीसरे सप्ताह से की जाएगी

चंद्रयान-3: मिशन पर 250 करोड़ रुपये का खर्च

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एक संवाददाता सम्मेलन में इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा कि तीसरे चंद्रयान मिशन से संबंधित सभी गतिविधियां सुचारू रूप से चल रही हैं. इसमें पहले की तरह लैंडर, रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल होगा. परियोजना की लागत पर सिवन ने कहा कि इस मिशन पर 250 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण अगले साल तक के लिए टल सकता है. बता दें कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि भारत 2020 में चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण करेगा.

गगनयान: यात्रियों का शुरू होगा प्रशिक्षण

इसरो प्रमुख सिवन ने बताया कि गगनयान मिशन के लिए चार अंतरिक्षयात्रियों को चुना गया है और उनका प्रशिक्षण इस महीने के तीसरे सप्ताह से रूस में शुरू होगा. उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 और गगनयान से जुड़ा कार्य साथ-साथ चल रहा है. इसरो प्रमुख ने चेन्नई के उस इंजीनियर की भी तारीफ की जिसने चंद्रमा पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का पता लगाया था. उन्होंने कहा कि यह अंतरिक्ष एजेंसी की नीति थी कि वह दुर्घटनाग्रस्त मॉड्यूल की तस्वीर जारी नहीं करेंगे.

विक्रम लैंडर: क्या दिक्कत हुई?

सिवन ने कहा कि हम जानते थे कि यह कहां दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और किस स्थान पर था. विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग में क्या दिक्कत हुई? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह वेग में कमी से जुड़ी विफलता थी और यह आंतरिक कारणों से हुआ था. इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास किया था. हालांकि तय समय से कुछ क्षण पहले इसरो का विक्रम से संपर्क टूट गया था.

(एजेंसी से इनपुट)

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