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हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जितिया का व्रत रखा जाता है
सनातन संस्कृति में जीवित्पुत्रिका व्रत का बहुत ही महत्व है. इसे जितिया का व्रत भी कहा जाता है. यह व्रत को माताएं अपनी बच्चों की सुख समृद्धि के लिए रखती है. इस साल यह व्रत 17 सितंबर यानी आज से शुरू हो रहा है. हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जितिया का व्रत रखा जाता है. इस साल अष्टमी तिथि 17 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से लेकर अगले दिन 18 सितंबर को शाम 04 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 18 सितंबर को उदयातिथि मानते हुए इस दिन निर्जला व्रत रखा जाएगा.
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पौराणिक मान्यता
सनातन संस्कृति के अनुसार महाभारत के युद्ध में जब द्रोणाचार्य का वध हुआ तो गुस्से में उनके पुत्र आश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया. इस अस्त्र के प्रयोग से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई. तब भगवान श्रई कृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे उस बच्चे को फिर से जीवित कर दिया. तभी से इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन मां अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए जितिया व्रत करती हैं.
जितिया व्रत की तिथि
शास्त्रों के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन जितिया का व्रत रखा जाता है, लेकिन इस साल अष्टमी तिथि 17 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 18 सितंबर को शाम 04 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. इसलिए उदयातिथि के अनुसार इस बार यह व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा. माताएं पूरे दिन का निर्जला व्रत करके अगले दिन यानी 19 सितंबर को अपना व्रत खोलेंगी.
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शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल व्रत में चार योग बन रहे हैं. सिद्धि योग, अभिजीत मुहूर्त, अमृत मुहूर्त और उत्तम मुहूर्त. 18 सितंबर सुबह 06:34 मिनट तक सिद्धि योग बना रहेगा. इस दिन सुबह 11:51 से दोपहर 12:40 तक अभिजीत मुहूर्त है. व्रत के लिए सुबह 09:11से दोपहर 12:15 तक अमृत मुहूर्त रहेगा, जबकि 01:47 से दोपहर 03:19 मिनट तक उत्तम मुहूर्त रहेगा.