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Monkeypox SOP: मंकीपॉक्स के पहले और दूसरे मामले केरल में आए.
Monkeypox Second Case in Kerala : केरल में मंकीपॉक्स के दो मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इस बारे में दिशानिर्देश जारी किए हैं. केरल सरकार के मुताबिक मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों या जिनमें इसके लक्षण नजर आ रहे हैं उन्हें आइसोलेट करने, उनके सैंपल कलेक्ट करने और इलाज के मामलों में यह स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) लागू होगा. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बुधवार 20 जुलाई को जारी एक प्रेस रिलीज के जरिए इस SOP के बारे में विस्तार से बताया है, जिनका पालन सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को करना होगा.
केरल सरकार ने निर्देश किए जारी
अगर ऐसे लोगों के शरीर पर लाल धब्बे दिखें या उनमें सिरदर्द, शरीर में दर्द या बुखार जैसे अन्य लक्षण हों, जिन्होंने पिछले 21 दिनों में ऐसे किसी देश की यात्रा की है, जहां मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं, तो वे संदिग्ध वायरस से संक्रमित हो सकते हैं. प्रेस रिलीज में केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि संक्रमित लोगों के संपर्क में आने या उनके बिस्तर या कपड़ों को छूने से संक्रमण फैलने का खतरा है. इस श्रेणी में आने वाले सभी लोगों को रोगी का निकट संपर्क माना जाएगा. पीसीआर जांच के जरिए ही संक्रमण की पुष्टि हो सकती है.
स्वास्थ्य विभाग के एसओपी के अनुसार मुताबिक मंकीपॉक्स के संदिग्ध और संभावित मरीजों का इलाज अलग-अलग होगा और जिला निगरानी अधिकारी (डीएसओ) को तुरंत इस संबंध में सूचना दी जाएगी. राष्ट्रीय विषाणु रोग विज्ञान संस्थान (एनआईवी) द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार नमूने एकत्र किए जाएंगे और इसे प्रयोगशाला में भेजने के लिए डीएसओ जिम्मेदार होंगे. इस एसओपी के मुताबिक अगर निकट संपर्क में आए व्यक्ति को बुखार हो, तो उन्हें अलग किया जाएगा और यदि उनके शरीर पर लाल धब्बे दिखाई देते हैं, तो उनके सैंपल मंकीपॉक्स की जांच के लिए भेज जाएंगे. अगर रोगी के निकट संपर्क में आए किसी व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं भी है, तब भी उन्हें रक्तदान इत्यादि करने से मना किया गया है.
मंकीपॉक्स के पहले और दूसरे मामले आए केरल में
भारत में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला केरल के कन्नूर जिले में सोमवार को सामने आया था. देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला भी 14 जुलाई को दक्षिण केरल के कोल्लम जिले में सामने आया था.
(इनपुट: पीटीआई)