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The representative body has sought three changes to the measures pertaining to the Rs 30,000-crore liquidity facility, partial credit guarantee scheme and guarantee on loans of Rs 3,00,000 crore to MSMEs.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के बारे में विस्तार से जानकारी देने की शुरुआत की. यह पैकेज कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए जारी ‘लॉकडाउन’ से बुरी तरह लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए है. पैकेज के पहले चरण के तहत लगभग छह लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई. इस पैकेज के तहत किए गए अभी तक के प्रमुख एलान इस तरह हैं...
- सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों समेत छोटी इकाइयों को 3 लाख करोड़ रुपये का बिना गारंटी वाला कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा. इससे 45 लाख छोटी इकाइयों को लाभ होगा. यह कर्ज चार साल के लिए दिया जाएगा और पहले 12 महीने तक मूल राशि के भुगतान से राहत दी जाएगी.
- तनावग्रस्त या संकटग्रस्त एमएसएमई इकाइयों को 20,000 करोड़ रुपये के कर्ज की सुविधा दी जाएगी. इससे 2 लाख इकाइयों को लाभ होगा.
- ‘फंड ऑफ फंड’ के जरिए वृद्धि की क्षमता रखने वाले एमएसएमई में 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डाली जाएगी.
- एमएसएमई की परिभाषा बदली गई है. इसके तहत 1 करोड़ तक का निवेश करने वाली और 5 करोड़ तक का कारोबार करने वाली मैन्युफैक्चरिंग व सर्विसेज यूनिट अब माइक्रो यूनिट कहलाएगी. 10 करोड़ तक तक निवेश और 50 करोड़ तक का कारोबार करने वाली अब स्मॉल और 20 करोड़ तक निवेश व 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली यूनिट मीडियम यूनिट कहलाएगी.
- 200 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद में ग्लोबल टेंडर की अनुमति नहीं होगी. सरकारी कंपनियों या पीएसयू में एमएसएमई का जो बकाया होगा, उनका पेमेंट 45 दिन में होने का प्रयास होगा.
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- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म राशि के ऋण देने वाले संस्थानों (एमएफआई) के लिए 30,000 करोड़ रुपये की विशेष नकदी योजना की घोषणा.
- एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों के लिये 45,000 करोड़ रुपये की आंशिक ऋण गारंटी (पार्शियल क्रेडिट गारंटी) योजना 2.0 का एलान
- रेजिडेंट्स को किए जाने वाले नॉन सैलरीड स्पेसिफाइड पेमेंट के लिए टीडीएस और स्पेसिफाइड रेसिप्टस के लिए टीसीएस की रेट 31 मार्च 2021 तक मौजूदा रेट से 25% घटाई गई है. यह फैसला कल यानी 14 मई से ही लागू हो जाएगा. कॉन्ट्रैक्ट, प्रोफेशनल फीस, ब्याज, किराया, डिविडेंड, कमीशन, ब्रोकरेज आदि के लिए भुगतान घटी हुई टीडीएस रेट के दायरे में आएगा.
- बिजली वितरण कंपनियों को राहत देने के लिये 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध करायी जाएगी.
- वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आयकर रिटर्न और अन्य रिटर्न भरने की तिथि बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 की गई.
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- जिन कंपनियों में 100 कर्मचारी तक मौजूद हैं और इनमें से 90 फीसदी कर्मचारी 15 हजार रुपये से कम महीने में कमाते हैं, ऐसी कंपनियों और उनके कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में योगदान से राहत की अवधि और तीन महीने के लिए बढ़ाई गई. सरकार इनकी ओर से जून, जुलाई और अगस्त के लिए भी नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का EPF योगदान देगी, जो कुल मिलाकर 24 फीसदी (12%+12%) होगा.
- इसके अलावा ऐसी कंपनियां, जिन्हें पीएम गरीब कल्याण पैकेज और उसके विस्तार के तहत सरकार की ओर से 24 फीसदी का ईपीएफ सपोर्ट नहीं मिल रहा है, उन संस्थानों और उनके कर्मचारियों के लिए अगले तीन महीने तक ईपीएफ योगदान को 12-12 फीसदी से घटाकर 10-10 फीसदी कर दिया गया है. हालांकि सरकारी कंपनियों व उनके कर्मचारियों के लिए यह 12-12 फीसदी ही रहेगा.
- निर्माण क्षेत्र में सभी सरकारी एजेंसियां सभी ठेकेदारों के लिए निर्माण और वस्तु एवं सेवा अनुबंधों को पूरा करने के लिए समयसीमा में 6 माह का विस्तार करेंगी.
- रियल एस्टेट क्षेत्र के डेवलपरों के लिए भी परियोजनाओं के पंजीकरण और उन्हें पूरा करने की समयसीमा छह माह बढ़ा दी जाएगी. यह राहत रेरा के तहत पंजीकृत उन सभी परियोजनाओं को मिलेगी जिनकी समयसीमा 25 मार्च या उसके बाद समाप्त हो रही है. जरूरत होने पर इन परियोजनाओं को पूरा करने की समयसीमा तीन महीने और बढ़ाई जा सकेगी.