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साल 2020 खत्म होने को है. इस साल को 'कोरोना साल' कहना गलत नहीं होगा क्योंकि पूरे साल कई चीजें बदलीं लेकिन नहीं बदली तो महामारी की परिस्थिति. यहां तक कि साल खत्म होते होते ब्रिटेन में कोरोनावायरस का नया प्रकार सामने आ गया. भारत की बात करें तो यहां पर भी कोविड19 और इसका प्रकोप पूरे साल छाए रहे लेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, जिनके लिए साल 2020 को याद रखा जाएगा. आइए डालते हैं एक नजर गुजरे साल के कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर...
नागरिकता संशोधन कानून का विरोध
नरेंद्र मोदी सरकार ने दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) बनाया था. इस कानून के पास होने के कुछ दिनों बाद इस पर बवाल शुरू हुआ. महीनों तक इस बवाल का असर दिखा. साल 2020 की शुरुआत होते-होते दिल्ली के शाहीन बाग समेत कई इलाकों में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन होने लगे. शाहीन बाग तो सीएए और एनआरसी के विरोध का एक एक मॉडल बन गया, जिसकी फ्रंट पर अगुवाई स्थानीय युवा और बुजुर्ग महिलाओं के हाथों में थी. इन प्रदर्शनकारियों में जो नाम सबसे ज्यादा उभरकर सामने आया वह है बिल्किस बानो, जिन्हें टाइम मैगजीन ने सितंबर 2020 में दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में जगह दी.
दिल्ली में भड़के दंगे
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में भड़की हिंसा फरवरी महीने के आखिर तक दंगों में तब्दील हो गई. उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में कानून के समर्थक और विरोधी आपस में भिड़ गए. दिल्ली दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हुए. कई दिनों तक उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा रहा.
ट्रम्प की भारत यात्रा
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दिल्ली जिस वक्त दंगों की आग में झुलस रही थी, उसी समय फरवरी माह में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत दौरे पर आए. उनके साथ पत्नी मेलानिया ट्रम, बेटी इवांका ट्रम्प व अमेरिकी सरकार के कई बड़े अधिकारी भी भारत आए. उनके स्वागत में अहमदाबाद के शानदार मोटेरा स्टेडियम में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसे 'नमस्ते ट्रंप' का नाम दिया गया.
कोरोना का कहर
भारत में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को केरल के त्रिशूर जिले में सामने आया. इसके बाद फरवरी की शुरुआत में वायरस का दूसरा और तीसरा केस सामने आया. फिर मार्च से महामारी ने भारत में रफ्तार पकड़नी शुरू की और एक के बाद एक लाखों लोग कोविड19 की चपेट में आ गए. देशभर में वायरस से लड़ने के लिए युद्ध स्तर पर क्वारंटीन सेंटर बनाए जाने लगे, हॉस्पिटल्स में बेड की संख्या बढ़ाई गई, विदेश में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाया गया, टेस्टिंग की स्पीड बढ़ाई गई और भी अनेक तैयारियों के साथ देश के डॉक्टर, नर्स समेत तमाम हेल्थकेयर वर्कर्स, सफाई कर्मचारियों, जरूरी सेवा से जुड़े लोगों ने कोरोना के खिलाफ जंग में अपना 100 फीसदी योगदान देने के लिए कमर कस ली. शुरू में टेस्टिंग किट नहीं थे, आज 10 लाख के करीब रोज यहीं बन रहे हैं. शुरू में पीपीई किट और N95 मास्क की किल्लत थी, आज यह बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं और निर्यात की स्थिति बनने का दावा किया जा रहा है.
'निर्भया' के दोषियों को सजा
2012 दिल्ली गैंगरेप और मर्डर केस में 20 मार्च की सुबह इंसाफ की सुबह बनी. इस मामले में सभी 4 दोषियो को 20 मार्च सुबह 5:30 बजे फांसी दे दी गई. तिहाड़ जेल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब एक ही अपराध में 4 दोषियों को एक ही साथ फांसी हुई हो. 2012 दिल्ली गैंगरेप और मर्डर केस में 7 साल बाद पीड़ित को इंसाफ मिला और लंबी कानूनी लड़ाई फांसी के कुछ घंटों पहले तक चलती रही.
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लॉकडाउन
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को रात 8 बजे 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की. इस दौरान आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों को छोड़कर बाकी सबके घर से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई. पहली बार पूरे देश में एक साथ ट्रेन और हवाई यातायात यात्रियों की आवाजाही के लिए पूरी तरह बंद कर दी गई. इसके बाद एक के बाद एक कई लॉकडाउन की घोषणा की गई और हर बार नई रियायतों के साथ इसकी अवधि बढ़ाई गई. 8 जून के बाद केंद्र सरकार ने धीरे-धीरे अनलॉक शुरू किया. लेकिन लॉकडाउन ने देश की हर आर्थिक गतिविधि को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया.
पहली बार थमी भारतीय रेल
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कोविड19 के चलते 166 सालों में पहली बार ऐसा हुआ, जब भारतीय रेल के पहिये थमे. जो सेवा कभी युद्धकाल में भी बंद नहीं हुई, उसे कोविड के चलते बंद करना पड़ा. हालांकि इस दौरान ट्रेन से माल की आवाजाही चालू रही, केवल यात्री ट्रेनें बंद हुईं. मई माह से पहले श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और बाद में स्पेशल ट्रेनों के रूप में भारतीय रेल ने फिर से दौड़ना शुरू किया.
प्रवासी मजदूरों का पैदल पलायन
लॉकडाउन में एक वक्त के बाद यहां-वहां फंस गए प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने गांवों की ओर निकल पड़े. बड़े शहर में रहने खाने का पुख्ता इंतजाम न हो पाने के चलते प्रवासी मजदूरों ने यह कदम उठाया. घर लौटने का अन्य कोई साधन उपलब्ध न होने पर वे पैदल ही निकल पड़े और हजारों किलोमीटर की लंबी दूरी भी उनके फैसले को नहीं बदल पाई. इस दौरान कुछ की रास्ते में मौत भी हो गई. पूरे अप्रैल तक यह सिलसिला चलता रहा. 1 मई को मजदूर दिवस के दिन से भारतीय रेलवे ने ऐसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक छोड़ने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम शुरू किया. 12 मई से कुछ और स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं.
लोन मोरेटोरियम
लॉकडाउन के दौरान कई लोगों की नौकरियां चली गईं, कई उद्योग-धंधे ठप पड़ गए. ऐसे में कई ऐसे लोग जो बैंकों से लोन लिए हुए थे, उनके सामने वक्त से ईएमआई कैसे भरी जाए यह चिंता पैदा हो गई. इस चिंता से राहत देने के लिए आरबीआई ने मार्च माह में लोन मोरेटोरियम का विकल्प उपलब्ध कराया. इसके कर्जधारक तीन माह के लिए अपनी ईएमआई टाल सकते थे लेकिन इस दौरान उन्हें ब्याज से छूट नहीं थी. पहले लोन मोरेटोरियम मार्च आखिर तक था लेनिक बाद में इसे 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया.
मध्य प्रदेश और राजस्थान की सियासी गर्मागर्मी
इस साल मार्च में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर दी और बीजेपी में आ गए. उनकी बगावत से मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार संकट में आ गई और आखिरकार गिर गई. इसके बाद बीजेपी सरकार राज्य की सत्ता में आई और शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बन गए. वहीं जुलाई में राजस्थान में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच तनातनी सामने आई. पायलट ने उपमुख्यमंत्री का पद छोड़ा और ऐसे हालात पैदा हुए कि गहलोत सरकार संकट में आ गई. बाद में केंद्रीय नेतृत्व के दखल के बाद यह संकट फिलहाल टला हुआ है और गहलोत सरकार अभी सत्ता में बनी हुई है.
सिनेमा जगत की कई हस्तियों का निधन
साल 2020 सिनेमा जगत की हस्तियों के लिए मौत का साल बनकर आया. बॉलीवुड के अलावा क्षेत्रीय सिनेमा की भी कई नामचीन हस्तियों की मौत इस साल में हुई. कुछ की जान कोरोनावायरस ने ली तो कुछ ने हालात से तंग आकर खुद ही मौत को गले लगा लिया. 2020 में भारत ने जिन नामचीन हस्तियों को खोया, उनमें अभिनेता इरफान खान, ऋषि कपूर, सुशांत सिंह राजपूत, म्यूजीशियन व सिंगर एसपी बालासुब्रमण्यम, कोरियोग्राफर सरोज खान, मशहूर बांग्ला अभिनेता सौमित्र चटर्जी, कॉमेडियन जगदीप, म्यूजिक डायरेक्टर वाजिद खान, गीतकार व शायर राहत इंदौरी आदि शामिल हैं.
अम्फान का कहर और टिड्डियों का आतंक
कोरोना से जूझ रहे देश को मई माह में बंगाल की खाड़ी में आए अम्फान तूफान ने झकझोर कर रख दिया. इस दौरान देश के पूर्वी हिस्से पश्चिम बंगाल को काफी नुकसान हुआ. अम्फान तूफान की वजह से पश्चिम बंगाल में 13.9 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. करीब 30 हजार घर ढह गए, जबकि 88 हजार हेक्टेयर में खड़ी फसल तबाह हो गई. कई लोगों की जान भी इस साइक्लोन से गई. वहीं देश के उत्तरी इलाकों ने टिड्डियों के आंतक का सामना किया. टिड्डियों के इन दलों ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद कर दी.
बॉलीवुड और ड्रग्स
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत जून महीने में अपने फ्लैट में मृत पाए गए. उनकी मौत के बाद बॉलीवुड में ड्रग्स कनेक्शन के मामले ने तूल पकड़ा और एक के बाद एक कई हस्तियों पर शिंकजा कसा गया. सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती को ड्रग्स मामले में NCB ने कुछ दिनों तक हिरासत में भी रखा. बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियों से पूछताछ भी हुई. कॉमेडियन भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिंबाचिया भी ड्रग्स लेने और रखने के मामले में NCB के हत्थे चढ़े.
राजनीति के कई दिग्गजों ने कहा अलविदा
राजनीति के कई दिग्गजों को साल 2020 ने भारत से छीन लिया. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक और केन्द्र सरकार में उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह, दिग्गज नेता अमर सिंह, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और बिहार के दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का इस साल निधन हो गया.
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देश को मिला राफेल
जुलाई 2020 में राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप भारत पहुंची और अंबाला एयरबेस पर उतरी. इसके बाद नवंबर माह में राफेल फाइटर जेट की दूसरी खेप गुजरात में जामनगर एयरबेस पहुंची. अब बेड़े में कुल एयरक्राफ्ट की संख्या आठ हो गई है. यह भारत के फ्रांस के साथ समझौते के करीब चार साल बाद था जिसमें 59,000 करोड़ रुपये की कीमत पर 36 एयरक्राफ्ट को खरीदना शामिल है.
40 साल के लो पर आई इकोनॉमी
लॉकडाउन से प्रभावित हुई आर्थिक गतिविधियों का नतीजा यह रहा कि साल 2020 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी खराब साल साबित हुआ. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और इकोनॉमी 40 साल के लो पर आ गई. हाल ही में दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के जीडीपी आंकड़े जारी हुए, जिनमें अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधरी है. जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट देखी गई.
गलवान में भारत-चीन झड़प
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच लंबे समय से सैन्य गतिरोध चल रहा है. विवाद पैदा करने के लिए चीन ने गलवान घाटी में सैन्य तैनाती बढ़ाई, जवाब में भारत ने भी सैनिकों का जमावड़ा मजबूत कर दिया. 15-16 जून की दरमियानी रात गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई, जिसमें भारत के 20 जवानों की जान चली गई. चीन को भी जान-माल का खासा नुकसान हुआ. दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई ठोस हल नहीं निकल सका है.
कई चीनी ऐप्स पर बैन
गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद भारत सरकार ने जून में देश में 59 मोबाइल ऐप्स को बैन किया. इस लिस्ट में Tik Tok समेत कई चाइनीज ऐप शामिल रहे. कहा गया कि ये ऐप भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक हैं. इसके बाद सितंबर में सरकार ने और 118 मोबाइल ऐप्लीकेशन पर बैन लगा दिया. इस लिस्ट में PUBG MOBILE Nordic Map: Livik, PUBG MOBILE LITE आदि शामिल रहे.
राम मंदिर भूमि पूजन
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अयोध्या में भव्य राम मंदिर का रास्ता तैयार किया और इस साल 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कर मंदिर की आधारशिला रखी. भव्य राम मंदिर के निर्माण का काम तेजी से चल रहा है. मंदिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि आने वाले कई सालों तक भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं का इस पर कोई असर न हो.
किसान आंदोलन
केंद्र सरकार सितंबर महीने में 3 नए कृषि विधेयक लाई, जो संसद की मंजूरी और राष्ट्रपति की मुहर के बाद कानून बने. लेकिन किसानों को ये कानून रास नहीं आ रहे हैं. उनका कहना है कि ये कानून किसान विरोधी हैं और कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने वाले हैं. किसानों को इन कानूनों से फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खत्म हो जाने का डर सता रहा है. पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कृषि कानूनों का लगातार विरोध कर रहे हैं. 26 नवंबर से अनकों किसान दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर डटे हुए हैं और लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. केन्द्र सरकार के साथ उनकी कई दौरों की बातचीत अब तक बेनतीजा रही है. किसान इन तीनों कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं.
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