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आईआईएफल हुरून इंडिया ने 2020 के अमीरों की जो सूची तैयार की थी, उसमें एमडीएच के मालिक मसाला किंग धरमपाल गुलाटी भी शामिल थे. (Image- MDH Website)
महाशय दी हट्टी (MDH) के मालिक और मसाला किंग के नाम से मशहूर महाशय धरमपाल गुलाटी का गुरुवार को 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. कुछ समय पहले उन्होंने अबूझ पहेली बनी हुई कोरोना वायरस से जंग जीत लिया था लेकिन आज वह अपनी जिंदगी की लड़ाई हार गए. उन्होंने महज 1500 रुपये से भारत में शुरुआत की थी और आज उनकी कंपनी करोड़ों का कारोबार कर रही है. एमडीएच न सिर्फ भारत में, बल्कि दूसरे देशों में भी तेजी से विस्तार कर रही है.
विभाजन के बाद जब महाशय धरमपाल भारत आए थे तो उनकी जेब में महज 1500 रुपये थे और अब इतने वर्षों बाद की बात करें तो आईआईएफएल हुरून इंडिया रिच 2020 की सूची में वह भारत के सबसे बुजुर्ग अमीर शख्स थे. पिछले साल उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया.
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IIFL Hurun India की सूची में शामिल
आईआईएफल हुरून इंडिया ने 2020 के अमीरों की जो सूची तैयार की थी, उसमें एमडीएच के मालिक मसाला किंग धरमपाल गुलाटी भी शामिल थे. इस सूची में उन्हें 5400 करोड़ की संपत्ति के साथ भारत के सबसे अमीर शख्स की सूची में 216वें स्थान पर रखा गया था. हुरुन इंडिया अपनी इस सूची में ऐसे लोगों को स्थान देती है जिनकी संपत्ति 1 हजार करोड़ या इससे अधिक की है.
एमडीएच के सीईओ के रूप में उन्हें 2017 में इतना वेतन मिला था कि वह उस साल फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स सेक्टर में सबसे अधिक सैलरी पाने वाले सीईओ बन गए. उस साल उन्हें करीब 21 करोड़ वेतन मिला था.
दिल्ली से कारोबार की शुरुआत
'असली मसाले सच-सच, एमडीएच' की बदौलत घर-घर में जाना-पहचाना चेहरा बन चुके धरमपाल गुलाटी इस देश में शरणार्थी के रूप में भारत आए थे और यहां तांगेवाले के रूप में शुरुआत की थी. तांगवाले से शुरुआत करने के बाद धीरे-धीरे दिल्ली में मसालों का कारोबार जमाना शुरू किया.
मसालों का उनका कारोबार उन्होंने दिल्ली से शुरू किया और धीरे-धीरे दिल्ली से बाहर निकल पहले देश भर में और फिर दुनिया भर के कई देशों में फैलता चला गया. आज यह 100 से भी अधिक देशों में इस्तेमाल किया जाता है. एमडीएच के कार्यालय न सिर्फ भारत में बल्कि दुबई और लंदन में भी हैं.
मां की याद में शुरू किया अस्पताल
गुलाटी ने सिर्फ मसालों का कारोबार ही नहीं किया, सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वाह किया. एमडीएच की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक नवंबर 1975 में उन्होंने अपनी माता चानन देनी की याद में नई दिल्ली के आर्य समाज सुभाषनगर में 10 बिस्तरों का आंखों का एक अस्पताल शुरू किया. इसके बाद जनवरी 1984 में उन्होंने नई दिल्ली के जनकपुरी में 20 बिस्तरों का अस्पताल शुरू किया.
एमडीएच वेबसाइट के मुताबिक पश्चिमी दिल्ली में उन्होंने 5 एकड़ में 300 बिस्तरों का एक अस्पताल शुरू किया. इस सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एमआरआई, सीटी स्कैन, हार्ट विंग, न्यूरो साइसेंज, आईवीएफ इत्यादि की सुविधा है. कंपनी का दावा है कि इस क्षेत्र में इतनी सुविधाओं वाला दूसरा कोई अस्पताल नहीं है. कारोबारी व्यस्तताओं के बावजूद गुलाटी नियमित तौर पर अस्पताल का निरीक्षण किया करते थे और प्रबंधन में सक्रिय तौर पर हिस्सा लेते थे.
बच्चों की शिक्षा पर भी फोकस
महाशय धर्मपाल ने बच्चों की शिक्षा पर भी ध्यान दिया. मसालों की यह कंपनी एमडीएच इंटरनेशनल स्कूल, महाशय चुन्नीलाल सरस्वती शिशु मंदिर, माता लीलावती कन्या विद्यालय, महाशय धर्मपाल विद्या मंदिर जैसे शिक्षण संस्थानों के जरिए लोगों को शिक्षित कर रही है. वेबसाइट पर किए गए दावे के मुताबिक महाशय धरमपाल ने अकेले ही 20 से अधिक स्कूलों की स्थापना की है जिससे गरीबों के बच्चों को भी बेहतर शिक्षा मिल रही है.