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भारत ने न सिर्फ भारतीयों को बल्कि विदेशी नागरिकों को भी युद्धग्रस्त इलाकों से सुरक्षित निकाला है. (File Photo- Reuters)
Rescue Operations by India: रूस के हमले के बाद यूक्रेन में फंसे नागरिकों को निकालने के लिए केंद्र सरकार कई विकल्पों का इस्तेमाल कर रही है. यूक्रेन में करीब 20 हजार नागरिक फंसे थे जिसमें से कई लोगों को सुरक्षित भारत वापस लाया जा चुका है. सरकार ने इस मिशन को 'ऑपरेशन गंगा' नाम दिया है. इस ऑपरेशन का उद्देश्य सभी भारतीय नागरिकों को वापस सुरक्षित अपने देश लेकर आना है. इसके अलावा कुछ दिन पहले सरकार ने ऐलान किया था कि वह पड़ोसी व विकासशील देशों के नागरिकों को भी यूक्रेन ले निकालेगी.
सरकार यूक्रेन से भारतीयों को पड़ोसी देशों हंगरी, पोलैंड और रोमानिया के रास्ते से निकाल रही है. इसके अलावा रूस ने मानवीय आधार पर एक गलियारा बनाने की पेशकश की है. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब सरकार को ऐसा इवैकुएशन प्रोग्राम चला रही है. इससे पहले भी सरकार ने कई बड़े ऑपरेशन चलाए हैं जिसमें विदेशों में फंसे नागरिकों को रिस्क्यू किया गया.
कुवैत से एयरलिफ्ट
करीब 32 साल पहले दो अगस्त 1990 को खाड़ी युद्ध शुरू हुआ था जिसमें पौने दो लाख भारतीय फंस गए थे. इन्हें निकालने के लिए एयर इंडिया ने दुनिया का सबसे बड़ा बचाव अभियान चलाया था. भारतीय दूतावास ने एक प्लान बनाया था जिसके तहत सभी भारतीयों को कुवैत से जॉर्डन की राजधानी अम्मान लाया गया जहां से उन्हें एयर इंडिया की मदद से निकाला गया. इराक ने कुवैत पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद यह संकट शुरू हुआ था. उस समय भारत में वीपी सिंह की सरकार थी और तत्कालीन विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के साथ मिलकर सभी भारतीयों को सुरक्षित निकालने की भूमिका तैयार की. एयर इंडिया ने 13 अगस्त से 11 अक्टूबर 1990 तक करीब 500 उड़ानें भरी थी. इस सबसे बड़े बचाव अभियान को गिनीज बुक में भी जगह मिली है.
ऑपरेशन सुकून
जुलाई-अगस्त 2006 में इजराइल और हिजबुल्ला के बीच उस समय सैन्य विवाद शुरू हो गया जब 12 जुलाई 2006 को हिजबुल्ला ने इजराल में घुसककर हमला किया जिसमें 10 इजराइली सैनिक मारे गए और उन्होंने दो इजराइली सैनिकों के शरीर को अपने कब्जे में लेकर इजराइल की जेल में बंद लेबनानी कैदियों को निकालने के लिए सौदेबाजी शुरू किया. इजराइल ने इसे लेकर लेबनान पर हमला बोल दिया. इस युद्ध के दौरान उस समय लेबनान में 10 हजार से अधिक भारतीय थे जिसमें से करीब 2 हजार को युद्ध के चलते रिस्क था. श्रीलंका और नेपाल के भी करीब 200 नागरिक फंसे हुए थे जिन्होंने अपने नागरिकों को निकालने के लिए भारत से अनुरोध किया था. भारत सरकार ने भारतीय नेवी की मदद से भारत, श्रीलंका और नेपाल के अलावा लेबनान के उन लोगों को भी जिनकी शादी भारतीयों से हुई थी, उन्हें सुरक्षित वापस निकाला. इस ऑपरेशन के तहत वारशिप ने लेबनान से सभी को निकालकर साइप्रस पहुंचाया, जहां से एयर इंडिया ने सभी को वापस भारत ले आया. इसके बाद भी भारतीय टास्क फोर्स लेबनान के समीप अंतरराष्ट्रीय जल में रहा ताकि फंसे नागरिकों को तत्काल निकाला जा सके. अभियान के तहत कुल 2280 लोग को निकाला गया जिसमें 1764 भारतीय, 112 श्रीलंकाई, 64 नेपाली और सात लेबनानी रहे जिनकी शादी भारतीय से हुई थी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारतीय नेवी के लिए यह सबसे बड़े बचाव अभियान में रहा. उस दौरान भारत में डॉ मनमोहन सिंह की सरकार थी.
ऑपरेशन सेफ होमकमिंग
लीबिया के उत्तरी अँफ्रीकी राज्य में लीबिया की गद्दाफी सरकार के खिलाफ 15 फरवरी 2011 को सिविल वॉर छिड़ गया जो 23 अक्टूबर 2011 तक चला. इसके चलते वहां करीब 18 हजार भारतीय फंस गए. इवैकुएशन में इसलिए दिक्कत हो रही थी क्योंकि लीबिया के पोर्ट बंद हो गए थे और लीबिया की राजधानी त्रिपोली (Tripoli) का सेंट्रल एयरपोर्ट बर्बाद हो गया था. फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन सेफ होमकमिंग भारतीय नेवी और एयर इंडिया ने मिलकर किया था. इसे 26 फरवरी 2011 को शुरू किया गया था. उस समय भारत में डॉ मनमोहन सिंह की सरकार थी. मनमोहन सिंह की सरकार ने जल्द से जल्द भारतीयों को लीबिया से निकालने के लिए 2 मार्च 2021 को सभी निजी विमान कंपनियों को हर दिन एक फ्लाइट लीबिया के लिए आदेश दिया. यह ऑपरेशन 11 मार्च 2011 को पूरा हुआ और इसमें 15 हजार से अधिक भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया जबकि करीब तीन हजार भारतीयों ने वहीं रुकने का फैसला किया था.
ऑपरेशन राहत
वर्ष 2015 में हौथी विद्रोही लड़ाकों ने यमन की सरकार के लिए खतरा पैदा कर दिया था और देश के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर लिया था. ऐसे में यमन के तत्कालीन राष्ट्रपति मंसूर हाडी ने सैन्य मदद मांगा था जिस पर सऊदी अरब समेत पश्चिमी एशिया व उत्तरी अफ्रीका के नौ देशों ने मिलकर यमन पर हमला किया था. यह मसला संविधान के मसौदे और पॉवर-शेयरिंग अरैंजमेंट पर सहमति न बनने के चलते वर्ष 2014 के मध्य से सरकार, हौथी विद्रोहियों व अन्य सशस्त्र समूहों को बीच शुरू हुआ था. जब यमन पर हवाई हमला शुरू हुआ तो वहां से भारतीय समेत अन्य देशों के नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन राहत शुरू हुआ. यह ऑपरेशन 1 अप्रैल 2015 से लेकर 11 अप्रैल 2015 तक चला था और इसमें भारतीय वायु और जल सेना ने एयर इंडिया के साथ मिलकर करीब 4640 भारतीयों व 41 देशों के 960 विदेशी नागरिकों को यमन से निकाला था. उस समय नरेंद्र मोदी की सरकार में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह ने बड़ी भूमिका निभाई थी.
ऑपरेशन देवी शक्ति
पिछले साल वर्ष 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां से लोगों को निकालने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन देवी शक्ति शुरू किया. यह भारतीय सेना का ऑपरेशन था जिसमें भारत समेत अन्य कई देशों के लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकाला गया. यह ऑपरेशन 16 अगस्त 2021 से 21 अगस्त 2021 तक चला था और इसमें करीब 600 लोगों को इवैकुएट किया गया.