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‘विवाद से विश्वास’ स्कीम: 31 मार्च 2020 की न भूलें तारीख, नहीं तो देना होगा टैक्स का 10% एक्स्ट्रा

‘विवाद से विश्वास’ स्कीम के तहत करदाता को 31 मार्च, 2020 तक बकाए की केवल विवादित कर राशि ही जमा करानी होगी.

‘विवाद से विश्वास’ स्कीम के तहत करदाता को 31 मार्च, 2020 तक बकाए की केवल विवादित कर राशि ही जमा करानी होगी.

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Vivad Se Vishwas Scheme: डायरेक्ट टैक्स से जुड़े विवाद को लेकर ‘विवाद से विश्वास’ स्कीम के तहत करदाता को 31 मार्च, 2020 तक बकाए की केवल विवादित कर राशि ही जमा करानी होगी. ऐसा करने पर जुर्माना और ब्याज माफ होगा. हालांकि, यह योजना 30 जून 2020 तक खुली रहेगी, लेकिन जो लोग 31 मार्च के बाद कर का भुगतान करेंगे उन्हें टैक्स अमाउंट पर 10 फीसदी अतिरिक्त भुगतान करना होगा. वहीं, जो विवाद ब्याज या जुर्माना राशि से ही जुड़े हैं, वहां करदाता को 31 मार्च तक विवादित राशि का 25 फीसदी और उसके बाद 30 जून तक 30 फीसदी ही भुगतान करना होगा.

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केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन प्रमोद चंद्र मोदी ने कहा कि 'विवाद से विश्वास' स्‍कीम लंबित टैक्स विवादों को निपटाने के लिए एक बेहतर अवसर है. लोगों को इस योजना का लाभ उठाना चाहिए. वित्त मंत्री ने 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में अनेक न्यायाधिकरणों में लंबित 4,83,000 प्रत्यक्ष कर विवादों के समाधान के लिए ‘विवाद से विश्वास’ योजना की घोषणा की थी. इसमें देश में 9.32 लाख करोड़ रुपये से जुड़े कर विवाद के मामलों के समाधान के प्रावधान हैं.

लोकसभा में पेश

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को लोकसभा में ‘प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020’ पेश किया जिसमें देश में 9.32 लाख करोड़ रुपये से जुड़े कर विवाद के मामलों के समाधान के प्रावधान हैं. प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020 पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि विधेयक में विश्वास बढ़ाने पर जोर दिया गया है. सीतारमण ने कहा कि यह पूरे समय के लिए योजना नहीं है और एक निश्चित समयावधि तक इसका लाभ उठाया जा सकता है.

सरकार को भी मिलेगा रेवेन्यू

वित्त मंत्री ने कहा कि विधेयक इसलिए लाया गया है कि जिन लोगों के कर विवाद हैं उन्हें अपील पर अपील करनी होती है और दोनों पक्षों का धन व्यय होता है. वित्त मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में बिना किसी भेदभाव के फॉर्मूला आधारित ढांचागत समाधान दिया गया है. उन्होंने कहा कि इससे सरकार के लिए भी विवाद निस्तारण पर होने वाला खर्च कम होगा और कुछ राजस्व अर्जित करने में मदद मिलेगी.

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