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हजारों संत बुधवार को हर की पौड़ी पर कुंभ मेले के तीसरे शाही स्नान के दौरान गंगा में डुबकी लगाने के लिए इकट्ठा हुए. (Image: Reuters)
हजारों संत बुधवार को हर की पौड़ी पर कुंभ मेले के तीसरे शाही स्नान के दौरान गंगा में डुबकी लगाने के लिए इकट्ठा हुए. शाही स्नान मेष संक्रांति और बैसाखी के मौके पर हुआ. इससे दो दिन पहले दूसरे शाही स्नान में साधु और भक्त का समान जमावड़ा हुआ था, जहां भी सोशल डिस्टैंसिंग के नियम का पालन असंभव था. उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार, जो हरिद्वार में इंतजाम देख रहे थे, उन्होंने कहा कि दोपहर तक, आठ से दस लाख लोग डुबकी लगा चुके थे.
सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन नहीं
13 अखाड़ों में से चार के साधु इस समय तक आ चुके थे. अफसर ने कहा कि कार्यक्रम बिना किसी रूकावट के चल रहा है. उन्होंने कहा कि गंगा घाटों पर भीड़ तीसरे शाही स्नान पर उम्मीद के मुताबिक काफी छोटी है, जो इनमें सबसे महत्वपूर्ण होता है. उन्होंने इसके लिए लागू किए गए कोविड प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराया. पुलिसकर्मी मेला क्षेत्र में लोगों के बीच मास्क बांटते हुए दिखाए दिए.
हालांकि, सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का संतों ने खुले तौर पर उल्लंघन किया, जब वे और उनके अनुयायी हर की पौड़ी पर सीढ़ियों से नीचे उतरे. उनमें से ज्यादातर ने मास्क नहीं पहना था. लाखों आम श्रद्धालुओं ने हरिद्वार और ऋषिकेश में नदी के अन्य घाटों पर नहाया. निरंजनी अखाड़ा के साधु और नागा सन्यासी अचार्य कैलाशानंद गिरी की अगुवाई की नदी में सबसे पहले नहाने वाले थे. इसके साथ आनंद अखाड़ा के साधु भी थे. इसके बाद, जूना अखाड़ा आया, जिसके साधुओं की संख्या सबसे ज्यादा थी. इनकी अगुवाई स्वामी अवधेशानंद ने की.
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महानिरवानी अखाड़ा इसके बाद आया, क्योंकि दिए गए समय के मुताबिक एक के बाद दूसरे समूह आए. मेला के आईजी संजय गुंजयाल ने बताया कि सभी अखाड़ों को सूरज के ढलने से पहले डुबकी लगाना खत्म करना था, क्योंकि समय का प्रबंधन महत्वपूर्ण है.