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वित्त वर्ष 2018-19 का सालाना माल एवं सेवा कर (GST) रिटर्न भरने की समयसीमा दो महीने बढ़ा दी गई है.
वित्त वर्ष 2018-19 का सालाना माल एवं सेवा कर (GST) रिटर्न भरने की समयसीमा दो महीने बढ़ा दी गई है. सरकार ने शनिवार को कहा कि अब 2018-19 का सालाना जीएसटी रिटर्न 31 दिसंबर तक भरा जा सकता है. सरकार ने इससे पहले पिछले महीने जीएसटी रिटर्न भरने का समय बढ़ा कर 31 अक्टूबर 2020 किया था. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने एक बयान में कहा कि सरकार से वित्त वर्ष 2018-19 का सालाना जीएसटी रिटर्न (GSTR-9) और मिलान का विवरण (GSTR-9C) भरने की समयसीमा बढ़ाने की मांग की जा रही थी.
Extension of due dates for Annual Return and Reconciliation Statement for 2018-19 @nsitharamanoffc @ianuragthakur @FinMinIndia pic.twitter.com/bWvaFHNDir
— CBIC (@cbic_india) October 24, 2020
कोरोना वायरस महामारी की वजह से फैसला
उसने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और इसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन और विभिन्न पाबंदियों की वजह से देश के कई हिस्सों में अभी भी सामान्य परिचालन कर पाना संभव नहीं हुआ है. इसी आधार पर समयसीमा बढ़ाने की मांग की जा रही थी. CBIC ने कहा कि व्यवसायों और ऑडिटरों को इन प्रावधानों के अनुपालन में सक्षम बनाने के लिए समयसीमा 31 अक्टूबर 2020 से आगे बढ़ाने का अनुरोध किया गया था.
सीबीआईसी ने कहा कि इन्हीं मांगों के मद्देनजर जीएसटी काउंसिल के सुझावों के आधार पर वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सालाना जीएसटी रिटर्न (फॉर्म जीएसटीआर -9 / जीएसटीआर -9 ए) और पुनर्मिलान ब्यौरा (फॉर्म जीएसटीआर -9 सी) दाखिल करने की समयसीमा को 31 अक्टूबर 2020 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 करने का फैसला लिया गया है. जीएसटीआर-9 एक सालाना रिटर्न है, जो करदाताओं द्वारा जीएसटी व्यवस्था के तहत दाखिल किया जाता है. इसमें विभिन्न कर श्रेणियों (स्लैब) के तहत प्राप्तियों और आपूर्तियों के संबंध में विस्तृत विवरण दिया जाता है.
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दो करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर पर भरना होता है रिटर्न
जीएसटीआर-9सी ऑडिट की गई सालाना वित्तीय विवरण और जीएसटीआर-9 के मिलान का चिठ्ठा होता है. सालाना रिटर्न भरना सिर्फ उन करदाताओं के लिए अनिवार्य है, जिनका सालाना टर्नओवर दो करोड़ रुपये से अधिक होता है. इसी तरह पांच करोड़ रुपये से अधिक के सालाना टर्नओवर वाले पंजीकृत व्यक्तियों के लिये खरीद-बिक्री के मिलान ब्यौरा जमा करना अनिवार्य होता है.