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Lok Sabha Election : चुनाव प्रचार सामग्री की सुस्त मांग से कारोबारियों में टेंशन, स्टॉक में पड़ा है लाखों का माल, खरीदार गायब

General Election 2024 : कुछ लोग चुनावी सामान की कम मांग के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर ध्यान केंद्रित करने वाले चुनाव अभियान के डिजिटलीकरण को जिम्मेदार मानते हैं.

General Election 2024 : कुछ लोग चुनावी सामान की कम मांग के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर ध्यान केंद्रित करने वाले चुनाव अभियान के डिजिटलीकरण को जिम्मेदार मानते हैं.

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FE Hindi Desk
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election campaign material demand : ‘अब की बार 400 पार’ के नारे वाली बीजेपी की शर्ट और टोपियां सबसे ज्यादा मांग में हैं.

General Election 2024 : देश का सबसे बड़ा चुनावी सीजन पीक पर है, लेकिन उत्तरी दिल्ली के प्रमुख थोक बाजार- सदर बाजार के व्यापारियों का कहना है कि अबतक चुनाव प्रचार सामग्री की मांग काफी कम है. हालांकि, उन्हें उम्मीद है कि आने वाले सप्ताहों में चुनावी प्रचार सामग्री की मांग रफ्तार पकड़ेगी. यह बाजार नारे लिखी टी-शर्ट से लेकर झंडे, स्कार्फ और पार्टी के प्रतीकों और टॉप लीडर्स की छवियों वाले रिस्टबैंड तक सभी प्रकार की चुनावी सामग्री बेचने के लिए जाना जाता है. पहले यह जहां लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व चुनाव के दौरान खरीदारों से भरा रहता था, अभी इस मामले में खाली पड़ा है. 

स्टॉक में पड़ा है लाखों का माल 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक यहां के एक कारोबारी मोहम्मद फाजिल ने कहा कि वह चार दशक से चुनाव से जुड़ी वस्तुओं के कारोबार में हैं. लेकिन इस बार बिक्री सबसे कम है. खरीद की कमी की वजह से उनके पास लगभग 50 लाख रुपये का चुनावी प्रचार सामान पड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस बार किसी भी पार्टी की ओर से कोई मांग नहीं है. ऐसा लगता है कि कांग्रेस को धन की कमी का सामना करना पड़ रहा है, आप के अरविंद केजरीवाल सलाखों के पीछे हैं और भाजपा, एकमात्र पार्टी जिसकी ओर से कुछ मांग है और वह खुद ही अपने उम्मीदवारों को प्रचार सामग्री उपलब्ध करा रही है. कारोबारी का कहना है कि वह अगले साल एक अलग व्यवसाय में स्थानांतरित होने की योजना बना रहे हैं. 

आगे मांग बढ़ने की उम्मीद

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एक अन्य कारोबारी सौरभ गुप्ता का कहना है कि इस बार बिक्री की ‘‘धीमी गति’’ दो महीने की लंबी चुनाव अवधि के कारण हो सकती है. लोकसभा चुनाव सात चरणों में होंगे. पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल और अंतिम चरण का चुनाव 1 जून को होगा. इस बार चुनाव का समय लंबा है, इसलिए मांग थोड़ी धीमी है. अब, पहला चरण नजदीक आ रहा है, इसलिए मुझे लगता है कि मांग बढ़ेगी. 

‘अब की बार 400 पार’ की ज्यादा डिमांड

गुप्ता कहते हैं कि ‘अब की बार 400 पार’ के नारे वाली बीजेपी की शर्ट और टोपियां सबसे ज्यादा मांग में हैं. कांग्रेस के झंडे दूसरे नंबर पर हैं और ‘आप’ का माल, खासकर केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद, कहीं नहीं है. उन्होंने कहा कि उन वस्तुओं की मांग अधिक है जिन पर प्रधानमंत्री का चेहरा हो. जैसे, भाजपा के लिए हर सामान पर मोदी का चेहरा होना चाहिए. कांग्रेस के लिए, कुछ लोग राहुल गांधी की तस्वीर की मांग करते हैं और कुछ केवल पार्टी का प्रतीक लेते हैं. 

बैज और झंडों की कीमत, पारंपरिक रूप से चुनावी मौसम के दौरान सबसे अधिक बिकने वाली वस्तुएं, गुणवत्ता और आकार के आधार पर 1.50 रुपये से 50 रुपये और यहां तक कि 100 रुपये तक होती हैं. ज्यादातर प्रचार सामग्री मुंबई के साथ-साथ गुजरात के सूरत और अहमदाबाद से मंगाई जाती है. 

सोशल मीडिया ने भी डाला असर

कुछ लोग चुनावी सामान की कम मांग के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर ध्यान केंद्रित करने वाले चुनाव अभियान के डिजिटलीकरण को जिम्मेदार मानते हैं. वहीं अन्य लोगों का मानना है कि कम बिक्री के पीछे का कारण, विपक्षी दलों द्वारा चुनाव प्रचार में ‘फंड की कमी’ है. 

चुनावी माल बेचने से दूरी बना रहे करोबारी

चुनावी माल बिक्री के पुराने कारोबारी हरप्रीत सिंह का कहना है कि उन्हें पहले से ही ‘‘खराब प्रदर्शन’’ का अनुमान था और उन्होंने इस लोकसभा चुनाव में कारोबार से दूर रहने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि 5 साल पहले, साल 2019 में, यह हमारे लिए एक तरह का त्योहार था, हम अतिरिक्त पैसे कमा सकते थे. लेकिन इस बार मैंने अपने साथी दोस्तों और दुकानदारों से भी बात की, वे सभी बहुत निराश हैं, और यह केवल दिल्ली में ही नहीं है बल्कि पूरे भारत में है. इस बार किसी प्रचार सामग्री, झंडों की बिल्कुल भी मांग नहीं है.

General Election 2024 election campaign material