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मध्य प्रदेश में अब किसान ज्यादा प्रतियोगिता के साथ अपनी उपज को बेच सकेंगे.
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मध्य प्रदेश में अब किसान ज्यादा प्रतियोगिता के साथ अपनी उपज को बेच सकेंगे. इसके लिए उन्हें मंडी में जाने की भी जरूरत नहीं होगी. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एलान किया कि निर्यातक, व्यापारी, फूड प्रोससेसर आदि अब निजी मंडी को खोल सकते हैं और किसान की जमीन या उसके घर जाकर कृषि पैदावार को खरीद सकते हैं. मंडी नियमों में संशोधन का मकसद किसानों को बेहतर कीमतों और अपनी पसंद के मुताबिक अपनी उपज को बेचने की आजादी देना है.
केवल एक लाइसेंस होगा
मंत्री ने इस कदम को किसानों के फायदे के लिए क्रांतिकारी और बेहद प्रगतिशील बताया. निजी मंडियां सामान्य मंडी से अलग संचालन करेंगी.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जिक्र किया कि केवल एक लाइसेंस होगा जिस पर निजी मंडियां कृषि पैदावार को खरीद सकती हैं. वे पूरे राज्य से खरीद सकेंगी और मंडी का शुल्क भी केवल एक जगह पर ही लगाया जाएगा. इसके अलावा राज्य ने एक ई-ट्रेडिंग की सुविधा को भी लॉन्च करने का फैसला किया है जिससे राज्य के किसान पूरे देश की किसी भी दूसरी ट्रेडिंग बॉडी के साथ व्यापार करने में सक्षम होंगे.
मंडी कर में कोई बदलाव नहीं
इस बीच सरकार ने मंडी कर में कोई बदलाव नहीं किया है इसलिए इससे बोझ के बरकरार रहने की आशंका है. अशोक विशनदास, पूर्व चेयरमैन, कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कोस्ट्स एंड प्राइसेज ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से डिमांड में गिरावट हुई है और निर्यात पर करीब पाबंदी है. इससे किसानों के पास कृषि पैदावार की जरूरत से ज्यादा सप्लाई हो जाएगी.
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इसके अलावा सफर पर पाबंदियों ने किसानों को मंडियों में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. उनके मुातबिक इस स्थिति में व्यापारियों पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव रह सकता है कि वे अपने उत्पादन को बेहद कम कीमतों में बेचें क्योंकि किसानों के पास ने तो पर्याप्त स्टोरेज की जगह है और न ही लंबे समय तक वित्तीय बोझ को सहने के लिए कोई रास्ता है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह कदम छोटी अवधि में असरदार नहीं होगा और इसकी जगह मंडी कर को खत्म करने से कहीं ज्यादा मदद मिल सकती थी.