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Image: PTI
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मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पानी का अधिकार यानी राइट टू वाटर (Right to Water) कानून लागू करने वाली देश की पहली राज्य सरकार बन सकती है. राज्य सरकार इस दिशा में काम कर रही है. इसके लिए एक्सपर्ट्स की मदद ली जा रही है. मध्य प्रदेश में 11 फरवरी को पानी पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पानी की कमी को लेकर चेताया और और इसके संरक्षण की जरूरत पर जोर दिया. सम्मेलन में देश भर के करीब 25 राज्यों के जल विशेषज्ञ और पर्यावरणविद शामिल हुए.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश में 65 बांध और 165 जलाशय सूखने की कगार पर हैं. स्थानीय निकाय लोगों को हर दूसरे और चौथे दिन पानी की सप्लाई कर पा रहे हैं. आगे चलकर यह संकट और गहराने वाला है. हमें इस समस्या पर अभी काम शुरू करना होगा. जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वालो लोगों को बड़ी भूमिका निभानी होगी. अगर हमने पानी के संकट को अब भी नजरअंदाज किया तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी.
रोज 55 लीटर पानी उपलब्ध कराना लक्ष्य
पानी का अधिकार कानून के तहत मध्य प्रदेश का लक्ष्य वहां के निवासियों को रोज 55 लीटर पीने का पानी उपलब्ध कराना है. सम्मेलन में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उपस्थित व्यक्तियों से प्रस्तावित कानून को व्यावहारिक और प्रभावी बनाने के लिए सुझाव मांगे. उन्होंने कहा कि पानी के लिए प्रावधान बनाना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.
बजट सत्र में हो सकता है पेश
मैग्सेस पुरस्कार विजेता और जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेन्द्र सिंह ने कहा कि पानी का अधिकार कानून लाने की मध्य प्रदेश की नई पहल देश को जल संरक्षण पर सोचने और इस मुद्दे पर काम करने के लिए मजबूर करेगी. सम्मेलन में पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि मध्य प्रदेश पानी का अधिकार कानून लाने वाला देश का पहला राज्य होगा.
पानी की रिसाइक्लिंग, रिचार्जिंग, सप्लाई और इस्तेमाल समेत हर पहलू को इस एक्ट के दायरे में लाया जाएगा. प्रस्तावित कानून के मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में पेश होने की संभावना है.