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मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुने गए हैं. खड़गे ने शशि थरूर को 90 फीसदी वोटों के अंतर से मात दी है.
मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुने गए हैं. खरगे ने शशि थरूर को 90 फीसदी वोटों के अंतर से मात दी है. चुनाव में कुल 9,385 कांग्रेस डेलिगेट्स ने वोट डाले थे, जिनमें 7,897 वोट खरगे को हासिल हुए हैं, जबकि शशि थरूर के पक्ष में सिर्फ 1,072 वोट पड़े हैं. करीब 24 सालों के बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी का अध्यक्ष बना है. अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को वोटिंग कराई गई थी. खरगे को सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है. हालांकि गांधी परिवार ने इस चुनाव में तटस्थ रहने और किसी का समर्थन नहीं करने की बात कही, फिर भी यही माना जाता रहा कि उनका समर्थन खरगे के साथ है. नामांकन पत्र भरने के समय से ही मल्लिकार्जुन खरगे को जिस तरह चौतरफा समर्थन मिल रहा था, उसे देखते हुए उनकी लगभग तय मानी जा रही थी.
हालांकि मल्लिकार्जुग खरगे को गांधी परिवार के करीबी नेताओं में गिना जाता है, फिर भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में उनकी उम्मीदवारी घोषित होने के बाद असंतुष्ट नेताओं के जी-23 गुट में शामिल रहे नेताओं ने भी खुलकर उनका समर्थन किया. खरगे ने भी चुनावी नतीजों के एलान से पहले ही कहा था कि पार्टी में उन्हें सभी का समर्थन हासिल है और अब कोई असंतुष्ट नहीं है. इसके साथ ही खरगे मीडिया से बातचीत में यह भी कह चुके हैं कि पार्टी से जुड़े मामलों में उन्हें सोनिया गांधी, राहुल गांधी या प्रियंका गांधी से सलाह लेने में कोई हिचक नहीं होगी.
इससे पहले खरगे के साथ चुनावी मुकाबला करने वाले शशि थरूर के खेमे ने यूपी में चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव आयोग के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री को चिट्ठी लिखी थी. लेकिन नतीजे आने के बाद थरूर ने खरगे को बधाई दी है. चुनाव प्रचार के दौरान भी थरूर और खरगे बार-बार कहते रहे हैं कि उनके बीच कोई टकराव नहीं बल्कि दोस्ताना मुकाबला है, क्योंकि दोनों ही कांग्रेस के हित में काम करना चाहते हैं.
As the counting begins in @INCIndia presidential elections, a big “thank you” from me to who all who contributed to making this historic event a landmark in the evolution of our politics. 🙏#ThinkTomorrowThinkTharoor#ChooseChangeChooseCongresspic.twitter.com/ABfLgVxNRV
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 19, 2022
सियासी सफर
80 साल के मल्लिकार्जुन खरगे राज्यसभा में नेता विपक्ष रहे हैं, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारी का पर्चा भरने पर उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने ऐसा एक व्यक्ति, एक पद के कांग्रेस के सिद्धांत का पालन करने के लिए किया था. खरगे छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े रहे हैं. साल 1972 के बाद उन्होंने विधानसभा चुनावों में लगातार तीन बार जीत की हैट्रिक लगाई थी. वे 9 बार विधायक और 3 बार के लोकसभा सांसद निर्वाचित हो चुके हैं. खरगे की किताबों में बहुत दिलचस्पी है और वे 8 भाषाएं जानते हैं. रूढ़िवादी प्रथाओं के खिलाफ खुलकर अपनी बात रखते हैं. मूल रूप से कर्नाटक के गुलबर्ग के रहने वाले खरगे को कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता है.