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Manipur violence: मणिपुर में कुकी आदिवासियों की सुरक्षा सेना को सौंपने की अर्जी पर फौरन सुनवाई नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बताया कानून-व्यवस्था का मामला

Manipur violence: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की फौरन सुनवाई का किया विरोध, मणिपुर ट्राइबल फोरम का आरोप, कुकी आदिवासियों के जातीय सफाये का एजेंडा चला रहे हैं केंद्र और राज्य के सीएम.

Manipur violence: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की फौरन सुनवाई का किया विरोध, मणिपुर ट्राइबल फोरम का आरोप, कुकी आदिवासियों के जातीय सफाये का एजेंडा चला रहे हैं केंद्र और राज्य के सीएम.

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FE Hindi Desk
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Manipur violence: मणिपुर के लोगों ने राज्य में डेढ़ महीने से जारी हिंसा के खिलाफ सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया. (ANI Photo)

Manipur violence : SC refuses urgent hearing on plea seeking Army protection for Kuki tribals: मणिपुर में 50 दिन से जारी हिंसा के दौरान कुकी आदिवासियों की सुरक्षा के लिए सेना तैनात करने की अर्जी पर फौरन सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट से इस मसले पर फौरन सुनवाई करने की मांग याचिका दायर करने वाले संगठन मणिपुर ट्राइबल फोरम की तरफ से की गई थी. लेकिन मोदी सरकार ने इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि राज्य में सुरक्षा बल मौके पर मौजूद हैं. मणिपुर में डेढ़ महीने से ज्यादा वक्त से जारी जातीय हिंसा में अब तक सौ से ज्यादा लोगों के मारे जाने का अनुमान है.

मणिपुर ट्राइबल फोरम का केंद्र और राज्य सरकार पर बड़ा आरोप

मणिपुर में जारी हिंसा के दौरान कुकी आदिवासियों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाने वाले संगठन मणिपुर ट्राइबल फोरम ने केंद्र सरकार और राज्य के मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं. पीटीआई के मुताबिक संगठन का आरोप है कि केंद्र सरकार और मणिपुर के मुख्यमंत्री मिलकर सांप्रदायिक एजेंडा चला रहे हैं, जिसका मकसद राज्य के कुकी आदिवासियों का ‘जातीय सफाया’ करना है. मणिपुर ट्राइबल फोरम की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वो इन हालात में केंद्र सरकार की तरफ से दिए जा रहे “खोखले आश्वासनों” पर भरोसा न करे और कुकी आदिवासियों को सैन्य सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दे.

3 जुलाई को होगी सुनवाई

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मणिपुर ट्राइबल फोरम की अर्जी पर फौरन सुनवाई का सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मोदी सरकार की तरफ से विरोध किया और कहा कि सुरक्षा बल मौके पर मौजूद हैं. जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एमएम सुंदरेश की वेकेशन बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले पर फौरन सुनवाई करने से इनकार कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि यह पूरी तरह से कानून व्यवस्था का मसला है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 3 जुलाई की तारीख तय की है.

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मणिपुर में क्यों शुरू हुई हिंसा

मणिपुर में करीब डेढ़ महीने पहले मेइती और कुकी समुदायों के बीच शुरू हुई हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. राज्य में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था. इसी के बाद से वहां हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं. मणिपुर की 53 फीसदी लोग मेइती समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो मुख्य तौर पर इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, राज्य में नगा और कुकी आदिवासी समुदाय की आबादी 40 फीसदी और यह लोग मुख्य तौर पर पर्वतीय जिलों में रहते हैं. राज्य में शांति बहाली के लिए सेना और असम राइफल्स के लगभग 10,000 जवान तैनात हैं. मणिपुर सरकार ने राज्य में अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए 11 जिलों में कर्फ्यू लगाने के साथ ही इंटरनेट सेवाओं पर भी पाबंदी लगा दी है. फिर भी राज्य में हिंसा और आगजनी की वारदात रुक नहीं रही हैं.

मणिपुर में मंत्रियों के घर भी जलाए जा चुके हैं

पिछले हफ्ते उपद्रवियों की हिंसक भीड़ मणिपुर से आने वाले केंद्रीय मंत्री आर के रंजन सिंह और राज्य की कैबिनेट मंत्री नेमचा किपगेन (Nemcha Kipgen) के घरों पर हमला करके उनमें आग लगा चुकी है. खुद केंद्रीय मंत्री आर के रंजन सिंह कह चुके हैं कि मणिपुर में कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल हो चुकी है. राज्य के कुछ अन्य विधायकों-नेताओं-अधिकारियों के घरों पर भी हमले हो चुके हैं. पड़ोसी राज्य मिजोरम के राज्यसभा सांसद के वनलालवेना (K Vanlalvena) भी मणिपुर की बीजेपी सरकार को बर्खास्त करके वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे हैं. वनलालवेना मिजोरम के उस सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) से जुड़े हैं, जो बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल है.

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